नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के व्यापक स्तर पर बढ़ावा मिलने का जिक्र करते हुए आर्थिक समीक्षा में सलाह दी गई है कि ऑनलाइन एजुकेशन का उचित उपयोग किया गया तो शहरी और ग्रामीण, स्त्री-पुरुष, उम्र और विभिन्न आय समूहों के बीच डिजिटल भेदभाव और शैक्षिक परिणाम में अंतर समाप्त होगा.
संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में पिछले साल अक्टूबर में प्रकाशित वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर)-2020 चरण-1 (ग्रामीण) का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण भारत में सरकारी और निजी स्कूलों में नामांकित विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में 36.5 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन थे, वहीं 2020 में 61.8 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन मौजूद थे.
अंतर होगा खत्म
इसमें कहा गया है, 'अगर उचित उपयोग (ई-शिक्षा) किया गया तो शहरी और ग्रामीण, स्त्री-पुरुष, उम्र और आय समूहों के बीच डिजिटल भेदभाव और शैक्षिक परिणाम में अंतर समाप्त होगा.' केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने कई सकारात्मक पहल की हैं. इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल पीएम-ई-विद्या की शुरुआत है.
इसमें कहा गया है, 'इससे विद्यार्थियो और अध्यापकों के लिए डिजिटल/ऑनलाइन /ऑन एयर शिक्षा के लिए बहु-आयामी और बराबरी का अवसर प्राप्त होता है. रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान-एनआईओएस से सम्बंधित स्वयं मूक (एमओओसीअएस) के तहत लगभग 92 ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं और 1.5 करोड़ विद्यार्थियों ने अपना नामांकन कराया है.
आवंटित की गई राशि
सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 का प्रभाव समाप्त करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को डिजिटल माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए 818.17 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि समग्र शिक्षा योजना के तहत शिक्षकों को ऑनलाइन अध्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 267.86 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. कोविड महामारी के कारण स्कूल बंद होने की वजह से विद्यार्थियों को घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए डिजिटल शिक्षा पर दिशा निर्देश तैयार किए गए हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान में मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए मनोदर्पण पहल शुरू की गई है.
आर्थिक समीक्षा 2020-21 के मुताबिक, भारत में अगले दशक तक विश्व में सर्वाधिक युवाओं की जनसंख्या होगी. इसलिए देश का भविष्य तैयार करने के लिए युवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की क्षमता विकसित करने पर जोर दिया गया जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 शामिल है. इसमें कहा गया है कि 9.72 लाख सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के भौतिक ढांचे में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है. इनमें से 90.2 प्रतिशत विद्यालयों में बालिकाओं के लिए शौचालय और 93.7 प्रतिशत विद्यालयों में बालकों के लिए शौचालय की व्यवस्था है.
समीक्षा में कहा गया है कि 95.9 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा है. 82.1 प्रतिशत विद्यालयों में पीने, शौचालय और हाथ धोने के लिए पानी उपलब्ध है. 84.2 प्रतिशत स्कूलों में चिकित्सा जांच की सुविधा मौजूद है. इसमें बताया गया है कि 20.7 प्रतिशत स्कूलों में कम्प्यूटर और 67.4 प्रतिशत में बिजली का कनेक्शन और 74.2 प्रतिशत स्कूलों में रैम्प की सुविधा के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. समीक्षा के मुताबिक, भारत ने प्राथमिक स्कूल स्तर पर 96 फीसदी साक्षरता दर हासिल कर ली है.
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