Economic survey 2021: कोरोना ने बढ़ाई मेडिकल सेक्टर की अहमियत, हेल्थ बजट बढ़ाने की मांग
आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि देश को भविष्य में किसी भी महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में तेजी लाने की आवश्यकता है.
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नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की परिकल्पना के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का बजट बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है. इसमें कहा गया है कि इससे लोगों को अपनी जेब से खर्च कम करना पड़ेगा.
समीक्षा में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकारी बजट वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक फीसदी से बढ़ाकर 2.5-3 फीसदी किए जाने की आवश्यकता है. इसके मुताबिक सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी से स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल व्यय में जनता के जरिए किया जाने वाला खर्च 65 फीसदी से घट 30 फीसदी तक आ सकता है.
बुनियादी ढांचे में तेजी की दरकार
आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि देश को भविष्य में किसी भी महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में तेजी लाने की आवश्यकता है. इसके मुताबिक दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए टेलीमेडिसिन का पूर्ण उपयोग किए जाने की आवश्यकता है, जिसके लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी में खासतौर पर निवेश की आवश्यकता है.
इस वार्षिक दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया कि 'आयुष्मान भारत' योजना के साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पर भी ध्यान लगाए रखने की आवश्यकता है. सर्वेक्षण के मुताबिक, देश में स्वास्थ्य सेवाओं का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र के जरिए उपलब्ध कराया जाता है, ऐसे में नीति-निर्माताओं को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सूचना की विषमता कम करने की नीतियां बनाने में दिक्कत आती है, जोकि बाजार में विफलताएं पैदा करती है. इसके मुताबिक, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विनियमन और निगरानी के लिए एक क्षेत्रीय नियामक पर विचार किया जाना चाहिए.
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