Economic Survey 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई 2024 को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं. मंगलवार को बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री 21 जुलाई को संसद पटल पर सरकार का इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगी. बजट से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश करने की परंपरा रही है. इस सर्वे को सरकार के रिपोर्ट कार्ड के रूप में देखा जाता है. सरकार इस रिपोर्ट के जरिए पिछले एक साल के कामकाज की समीक्षा करते हुए आगे की प्लान को तैयार करती है.


क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे?


इकोनॉमिक सर्वे के जरिए सरकार देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर तस्वीर पेश करती है. इसमें पिछले एक साल के कार्य, रोजगार, जीडीपी के आंकड़े, बजट घाटे और मुद्रास्फीति जैसी चीजों की अहम जानकारी दर्ज होती है. इसके जरिए सर्वे को देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं.


आर्थिक सर्वेक्षण में दर्ज होती है यह जानकारियां


इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) का एक सालाना दस्तावेज होता है. इसमें देश की आर्थिक विकास का लेखा जोखा होता है. इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश को कहां पर फायदा हुआ है और कहां नुकसान हुआ है. इस सर्वे के आधार पर यह तय होता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं देखने को मिलेगी.


कौन तैयार करता है आर्थिक सर्वेक्षण?


आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के इकोनॉमिक्स डिवीजन तैयार करता है. इसे मुख्य रूप से मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में बनाया जाता है. इस साल इस आर्थिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुवाई वाली टीम ने तैयार किया है.


आम लोगों को मिलती है महत्वपूर्ण जानकारी


1. आर्थिक सर्वे से देश की अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर का पता चलता है. इससे सरकार लोगों के सामने महंगाई से लेकर देश के बेरोजगारी के आंकड़े पेश करती है.


2. इससे आम लोगों को सरकार की आगे की नीति और रोडमैप का पता चलता है.


3. आर्थिक सर्वे में अलग-अलग सेक्टर्स के प्रदर्शन से लेकर निवेश और बचत से मोर्चे पर देश ने किस कदर विकास किया है इसकी जानकारियां भी दी जाती है. 


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