Economic Survey 2024: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे ने देश में ज्यादा से ज्यादा चीन के निवेश की वकालत की गई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत वी नागेश्वरन ( V. Anantha Nageswaran ) ने कहा , भारत ग्लोबल एक्सपोर्ट्स को बढ़ाने के लिए या तो चीन के सप्लाई-चेन में शामिल हो जाए या चीन से देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) को बढ़ावा दे. 


साल 2020 में जून महीने में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद से ही भारत-चीन के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं जिसमें 20 भारतीय जवान और 4 चीनी सैनिक मारे गए थे. दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तें भी सामान्य नहीं है. भारत ने कई चीनी कंपनियों पर हाल के महीनों में सख्त कार्रवाई करते हुए देश में कारोबार करने के लिए भारतीय कंपनी को मैजोरिटी पार्टनर बनाने का दबाव बनाती रही है. चीनी निवेश पर भारत सरकार ने बेहद सख्त रवैया अपनाया हुआ है. 2020 के बाद से भारत ने चीनी नागरिकों को वीजा देने पर भी रोक लगाया हुआ है. रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी टेक्नीशियन के लिए वीजा नियम को सरल करने पर विचार कर रहा है क्योंकि इससे अरबों डॉलर के निवेश आने में बाधा उत्पन्न हो रही है.  


आर्थिक सर्वे के मुताबिक, चीन से विदेशी निवेश को आकर्षित करने से अमेरिका को भारत से एक्सपोर्ट्स बढ़ाने में मदद मिलेगी जैसा पहले पूर्वी एशियाई देश कर चुकी हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि एफडीआई को आकर्षित करना ट्रेड पर निर्भर रहने से ज्यादा फायदेमंद है. इससे भारत के लिए चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी जो भारत को सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला देश है. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन के पीछे हटने का फायदा भारत उठा पाएगा ये होता नजर नहीं आ रहा है. 


पश्चिमी देश ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन के लिए चीन पर इंपोर्ट की निर्भरता को घटाने के लिए दूसरे देश की तलाश कर रहे हैं जहां ये सुविधाएं उपलब्ध हो. आरबीआई के डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में एफडीआई 62.17 फीसदी घटकर 10.58 बिलियन डॉलर रहा है जो इसके पहले वित्त वर्ष मे 27.98 बिलियन डॉलर रहा था.   


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