Economic Survey 2024: भारतीय शेयर बाजार में वैश्विक उठापटक के बावजूद शानदार तेजी देखने को मिली है जिसका क्रेडिट देश के रिटेल निवेशकों को जाता है. विदेशी निवेशकों की जगह रिटेल निवेशकों ने ले ली है और इस बात की तस्दीक वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए इकोनॉमिक सर्वे में भी किया गया है. खासतौर से म्यूचुअल फंड्स और उसमें सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान के जरिए रिटेल निवेशकों का निवेश बढ़ा है. 


इकोनॉमिक सर्वे ने एम्फी के डेटा के हवाले से बताया कि, म्यूचुअल फंड्स में 8.4 करोड़ एसआईपी अकाउंट्स हैं जिसके जरिए निवेशकों म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश करते हैं. पिछले तीन सालों में वित्त वर्ष 2020-21 के 0.96 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 में एसआईपी निवेश दोगुना होकर 2 लाख रुपये हो गया है. म्यूचुअल फंड्स के इक्विटी स्कीमों के कुल एयूएम में 35 फीसदी हिस्सेदारी एसआईपी एयूएम का है.




म्यूचुअल फंड्स में रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ने के बाद भारतीय इक्विटीज में म्यूचुअल फंड्स का मालिकाना हक 31 दिसंबर 2023 तक बढ़कर 9.2 फीसदी हो गया है जो 31 दिसंबर 2021 को 7.7 फीसदी था. म्यूचुअल फंड्स के फोलियो की संख्या वित्त वर्ष 2022-23 में 14.6 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 17.8 करोड़ हो गई है. इनकम और डेट स्कीमों को छोड़ सभी स्कीमों में इंफ्लो बढ़ा है.  सोने को छोड़ दें तो दूसरे ईटीएफ के नेट एसेट्स में वित्त वर्ष 2023-24 में 37 फीसदी का उछाल आया है. 


इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक डिमैट अकाउंट के जरिए सीधे तौर पर रिटेल निवेशकों द्वारा की जाने वाली ट्रेडिंग बढ़ी है तो अप्रत्यक्ष तौर पर भी म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश बढ़ा है. इक्विटी कैश सेगमेंट में इंडीविजुअल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी कैश सेगमेंट के टर्नओवर में वित्त वर्ष 2023-24 में 35.9 फीसदी रही है. डिमैट खाते वित्त वर्ष 2022-23 में 11.45 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 15.14 करोड़ हो गए. सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 म्यूचुअल फंड्स के लिए जोरदार रहा है और उनका एसेट अंडर मैनेजमेंट 14 लाख करोड़ रुपये का उछाल वित्त वर्ष 2023-24 में 53.4 लाख करोड़ हो गया है. 


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