पिछला साल इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री (EV Industry) के लिहाज से बेहतर साबित हुआ. खासकर तिपहिया वाहनों की श्रेणी में देखें तो ईवी व्हीकल्स के आउटलुक ने पारंपरिक ईधन वाले वाहनों को पीछे छोड़ दिया. हालांकि अब भी इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी को सरकार से समर्थन की जरूरत है. कम से कम काइनेटिक ग्रीन की संस्थापक एवं सीईओ सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी और न्यूरॉन एनर्जी के सह संस्थापक प्रतीक कामदार का यही मानना है.
मोटवानी पिछले बार के बजट की तरह इस बार के बजट में भी सरकार से समर्थन की उम्मीद कर रही हैं. उनका कहना है कि पिछले साल का बजट इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री के लिए जिस तरह से सकारात्मक था, इस बार भी वैसी ही मदद मिल सकती है. मोटवानी कहती हैं, साल 2022 भारत में ईवी सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण रहा है. इंडस्ट्री ने थ्री-व्हीलर सेगमेंट में ईवी को पारंपरिक आईसीई वाहनों से आगे निकलते देखा है. इसके अलावा ईवी की बिक्री में ठीक-ठाक तेजी और देश में ईवी के कल-पुर्जों के विनिर्माण की पहल भी देखने को मिली.
मोटवानी का मानना है कि भले ही भारत तेजी से ईवी क्रांति की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन सप्लाई चेन की बाधाओं ने इसकी गति धीमी की है. उन्होंने कहा कि फेम-2 के तहत ईवी को मिलने वाले सपोर्ट को 3 से 5 साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. इससे भारत में 20-25 फीसदी दखल के साथ ईवी को मुख्यधारा में लाने और इसके लिए लंबी अवधि की मजबूत बुनियाद बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने बैटरी सेल पर 3-4 साल के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने की भी मांग की.
न्यूरॉन एनर्जी के कामदार भी ऐसी ही राय रखते हैं. कामदार कहते हैं, हाल के कुछ सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल भारत में काफी लोकप्रिय हुए हैं. इसके कारण डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतें, पर्यावरण को लेकर बढ़ रही जागरूकता और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने के प्रयास हैं. आम बजट 2023 इस दिशा में अहम साबित होने वाला है. ईवी इंडस्ट्री को लिथियम आयन बैटरी पैक व सेल पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किए जाने की उम्मीद है. भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर मुख्य तौर पर बैटरी पर निर्भर है. ऐसे में अगर यह बदलाव हुआ तो भारतीय ईवी सेक्टर को काफी फायदा मिलेगा.
इसके अलावा कामदार ने फेम-2 सब्सिडी योजना को मार्च 2024 से भी आगे बढ़ाने की उम्मीद जाहिर की. कामदार को सरकार से बैटरी पैक विनिर्माताओं के लिए पीएलआई स्कीम लाने की भी उम्मीद है, जो ईवी बाजार को समर्थन देने वाला साबित हो सकता है और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को किफायती बना सकता है.