नई दिल्लीः देश के बैंकिंग सेक्टर की खस्ता हालत के बीच आ रहे बजट में इस सेक्टर के लिए काफी कुछ किए जाने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने बैंकिंग सेक्टर को पटरी पर लाने की चुनौती तो है ही, उनके सामने बैंकिंग सेक्टर के रिवाइवल के साथ साथ उसके सुधारीकरण का भी चैलेंज है. इसी क्रम में जानिए बैंकिंग सेक्टर की वित्त मंत्री से क्या-क्या उम्मीदें हैं और वो वित्त मंत्री के सामने क्या मांगें रख रहा है.
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाले एक महीने का ही समय हुआ है और उन्होंने इस दौरान आर्थिक जगत के जानकारों के साथ साथ बैंकिंग इंडस्ट्री के जानकारों के साथ भी मुलाकात की है. इसमें उनके सामने कई मांगें रखी गईं जैसे बैंकिंग सेक्टर में और पूंजी डाली जाए और इसकी बेहतरी के लिए सरकार को एक रिवाइवल प्लान बनाना चाहिए.
- रिजर्व बैंक से सरकार 3 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद कर रही है लेकिन फिलहाल बिमल जालान कमेटी की रिपोर्ट अब बजट के बाद ही आएगी और इसके लिए भी ये कहा जा रहा है कि अगर ये कमेटी सरकार को अपने कोष से पैसा देने के लिए राजी हो भी जाती है तो इसको एकमुश्त तरीके से न देकर किश्तों में दिया जा सकता है. हालांकि इसको लेकर भी ये कहा जा रहा है कि ये कमिटी पैसा देने के लिए तैयार हो जाए, ऐसा 100 प्रतिशत सही भी नहीं है.
- सरकार के सामने डिजिटल कैशलेस इकोनॉमी बनाने का चैलैंज अभी भी है और इस बजट में सरकार से मांग है कि ई-पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ ऐसे कदमों का एलान करे जिससे कि इनकी लोकप्रियता बढ़ सके. देश में जितने ज्यादा ई-पेमेंट्स का चलन बढ़ेगा वो अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही अच्छा होगा. नोटबंदी के बाद देश में निश्चित तौर पर डिजिटल पेमेंट्स का प्रसार बढ़ गया था लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आई है और इसको फिर से चार्ज करने के लिए सरकार को कुछ और ऐलान करने होंगे.
- कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 फीसदी करने की मांग लंबे समय से की जा रही है और बैंकों के लिए भी ऐसा करने से ये बैंकिंग सेक्टर के लिए बूस्ट देने का काम करेगी.
- एनपीए के प्रावधानों से निपटने के लिए बैंकों को एक रोडमैप बनाने की जरूरत है और खासकर कि सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है. एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट) जो कि खासकर कि सरकार बैंकों में देखे जा रहे हैं उनके लिए सरकार को कड़ाई से कुछ एलान करने चाहिए और इसके लिए कोई कदम उठाया जाना चाहिए.
बैंकिंग सेक्टर जो कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के तौर पर काम करता है इसको एक ऐसे प्लान की जरूरत है जो इसके सुधारीकरण की दिशा में बड़ा परिवर्तन ला सके. निश्चित तौर पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस ओर ध्यान देंगी और बैंकों को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में कुछ एलान इस बजट में कर सकती हैं, ये उम्मीद की जा सकती है.
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