नई दिल्लीः बजट का दिन नजदीक आ रहा है और पूरे देश की निगाहें इस ओर लगी हुई है. पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने के लिए, टैक्स चोरी कम करने के लिए और टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन को और आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. अब भी ऐसा लगता है कि सरकार का ध्यान मूल रूप से टैक्स सुधारों पर ही रहेगा. इसके लिए सरकार कुछ और ठोस व कड़े कदम उठा सकती है. टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की सरकार की कोशिश के सफर में आम लोगों को कई नए टैक्स से जुड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.


हालांकि सरकार की ये कोशिश भी है कि मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ कम किया जाए और इसीलिए साल 2014 में 5 लाख रुपये तक की आय को सरकार ने 10 फीसदी टैक्स स्लैब से घटाकर 5 फीसदी का टैक्स रेट दिया था. वहीं पिछले कुछ बजट में सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया और इसके साथ रिबेट को बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया. वहीं पिछले अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इंकम पर रिबेट दी और इसके जरिए लाखों टैक्सपेयर्स को एक तोहफा दिया. ऐसे में इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने कड़ी परीक्षा है कि वो टैक्सपेयर्स को क्या कोई सौगात दे पाएंगी क्योंकि देश का बड़ा तबका टैक्स दरों में और राहत की आस लगाए बैठा है.


जानिए इस बजट में टैक्स से जुड़े कौन-कौन से बदलाव देखने को मिल सकते हैं.


1. सरकार ने 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 12,500 रुपये की रिबेट दी है लेकिन टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं किया है और इस बार उम्मीद है कि टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएगा और 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिया जाएगा. हालांकि ये कहना मुश्किल है कि इस मांग को वित्त मंत्री पूरा कर पाएंगी या नहीं.


2. सेक्शन 80 सी तहत निवेश पर मिलने वाली छूट को बढ़ाया जा सकेगा
सरकार ने साल 2014 में सेक्शन 80सी के तहत किए गए निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया था लेकिन इस बार उम्मीद है कि इस सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया जाएगा. लंबे समय से इसकी मांग की जा रही है और इस बार लोगों को उम्मीद है कि इस काम को पूरा कर लिया जाएगा. ये चैप्टर 6ए डिडक्शन के तहत आता है.


3. नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) पर लगने वाले टैक्सेशन को और युक्ति संगत बनाना
ये उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री एनपीएस से पैसे निकालने की प्रक्रिया को और आसान बनाएंगी. इसे रिटायरमेंट के बाद के बचत साधनों जैसे ईपीएफओ और पीपीएफ जैसे साधनों की तरह आसान बनाया जाएगा. सरकार ने 6 दिसंबर 2018 को हुई मीटिंग में एनपीएस को और व्यवस्थित बनाने का जो इरादा जताया था, बजट में उसी दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं.


4. लॉन्ग टर्म इक्विटी शेयर्स को बेचने के जरिए मिले कैपिटल गेंस पर टैक्स छूट बढ़ाई जाए
पिछले साल से पहले तक शेयर बेचने से मिले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं लगता था. वित्त वर्ष 2018-19 से लागू हुए नए नियमों के मुताबिक 1 लाख रुपये तक के कैपिटल गेन पर निवेशकों को 10 फीसदी की दर से टैक्स देना पड़ रहा है. लिहाजा शेयर बाजार में और ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार इस 1 लाख रुपये तक की लिमिट को बढ़ा सकती है जिससे निवेशकों को कम टैक्स देना पड़े.


5. डिजिटल व्यवस्था परिवर्तन
अंतरिम बजट 2019 में तय किया गया था कि सरकार ज्यादा से ज्यादा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए टैक्स कलेक्शन व्यवस्था, जीएसटी कलेक्शन आदि को आसान बनाएगी. सरकार से उम्मीद है कि इस दिशा में और कुछ बड़े कदम उठाए जाएं जिससे बड़े डेटा का मिलान आसान हो सके. टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स रिटर्न भरना और आसान हो सके और इसकी स्क्रूटनी और आंकड़ों का मिलान करना सरकार के लिए भी आसान हो सके.


हालांकि हर बजट से पहले आम आदमी की ढेरों उम्मीदें होती हैं लेकिन सरकार को इन आशाओं और देश की बेहतरी के लिए क्या सही है उस फैसले में संतुलन बनाकर चलना होता है. जिस तरह का जनादेश इस बार सरकार को मिला है इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि जनता की उम्मीदों का बोझ भी सरकार के ऊपर बढ़ गया है. अब ये तो वित्त मंत्री को देखना है कि वो किस हद तक लोगों की उम्मीदों पर खरी उतर पाती हैं.


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