Budget 2025: वित्त मंत्री ने 2026 के लिए लगाया राजकोषीय घाटे का अनुमान, कहा- इसे घटाने का है लक्ष्य
Budget 2025: चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान लगाया गया था, जबकि 2025-26 के लिए इसे घटाकर 4.4 परसेंट तक लाने का जिक्र किया गया.

Budget 2025: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत का आम बजट पेश कर दिया है. अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 परसेंट रहने का अनुमान है. हालांकि, पहले उन्होंने कहा था कि 2026-27 में सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को 4.5 परसेंट तक लाने का है. यानी कि यह सरकार के लगाए गए पूर्वानुमान से कम है.
सकल और शुद्ध बाजारी उधारी का यह है अनुमान
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 26 में सकल और शुद्ध बाजार उधारी क्रमशः 14.82 लाख करोड़ और 11.54 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. इसमें सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेती है.
इसके विपरीत वित्त वर्ष 25 में बजट के लिए सरकार की सकल उधारी 14.01 लाख करोड़ रुपये थी. सरकार ने कितना उधार लिया है इस पर मार्केट की पैनी नजर रहती है, वह भी तब जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लाभांश इसमें कम रहता है. बता दें कि वित्त वर्ष 2025 के लिए रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान किया था. वित्त वर्ष 26 में टैक्स से मिलने वाली राशि का अनुमान 28.37 लाख करोड़ रुपये लगाया गया है.
चालू वित्त वर्ष में इतना रहा राजकोषीय घाटा
बता दें कि चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक) के लिए बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान जीडीपी के 4.9 परसेंट रहने का लगाया गया था. इसे अब बदलकर 4.8 परसेंट कर दिया गया है.
आज बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आम बजट का मकसद- टैक्सेशन, बिजली, शहरी विकास, खनन, फाइनेंशियल सेक्टर और रेगुलेटरी रिफॉर्म्स में सुधार करना है. साल 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार के तहत लगातार 14वां बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, आर्थिक समृद्धि के लिए अपनी क्षमता को अनलॉक करने के सफर पर हम साथ निकल पड़े हैं. उन्होंने इस बात का भी आश्वासन दिया कि सभी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है.
फिसकल डेफिसिट
एक फाइनेंशियल ईयर में जब सरकार कमाने से ज्यादा रुपये खर्च कर देती है, तो इसे फिसकल डेफिसिट कहा जाता है. यानी कि इसमें टोटल रेवेन्यू और एक्सपेंडिचर के बीच अंतर पाया जाता है. सरकार हर बजट में फिसकल डेफिसिट का एक टारगेट सेट करती है.
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