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बजट 2017 सिर्फ एक पटाखा, किसानों, मजदूरों के लिए कुछ नहीं: पी चिदंबरम

नई दिल्लीः कल देश के आम बजट 2017 के पेश होने के बाद जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी मंत्री वित्त मंत्री की तारीफ कर रहे हैं. वहीं पूर्व वित्त मंत्री और इकोनॉमी के जानकार पी चिदंबरम ने बजट को सिर्फ एक पटाखा करार दिया है जो सिर्फ शोर करता है. आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने बजट पर उनकी क्या राय है ये बताते हुए कहा कि मौजूदा सरकार के पास इकोनॉमी के मुख्य वर्गों के लिए कोई प्लान, कोई योजना नहीं है. पी चिदंबरम ने कहा कि बजट में 1-2 चीजें ही अच्छी हैं जैसे वित्त मंत्री जेटली निवेश नियमों में नरमी लाने की बात कर रहे हैं.

नोटबंदी के बाद पी चिदंबरम क्या करते अगर वो वित्त मंत्री होते? इस सवाल के जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के वक्त अगर वो वित्त मंत्री होते वो 9 नवंबर को ही पद से इस्तीफा दे देते. पी चिदंबरम ने कहा कि वो खुश हैं कि उनकी यूपीए की सरकार द्वारा चलाई गई स्कीमों को मौजूदा सरकार लागू कर रही है और इसकी उन्हें खुशी है. वित्त मंत्री ने राज्यों के लिए कुछ ना किए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि इस बजट में युवाओं के लिए रत्ती भर भी अच्छी खबर नहीं है. आज देश में फिर से इंस्पेक्टर राज कायम होता दिख रहा है. नोटबंदी के चलते किसानों, मजदूरों, मिस्त्री, गरीब वर्ग को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ लेकिन बजट में इनके लिए एक भी ऐलान ना आना निराशा पैदा करता है. अरुण जेटली ने बजट में एक बार भी एमएसपी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जिसकी चलते कृषि सेक्टर के साथ बड़ा धोखा हुआ है. वहीं रोजगार और नौकरी पैदा करने के लिए बजट में एक भी योजना नहीं आई. नोटबंदी के बाद देश की गिरती ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कुछ भी ऐलान नहीं हुए.

टैक्स घटाने पर क्या बोले पी चिदंबरम? टैक्स दरों में कटौती बहुत ही मामूली है जिसका स्वागत है लेकिन नोटबंदी के बाद एटीएम-बैंकों की लाइनों में खड़े लोगों को हुए कष्ट के सामने ये राहत कुछ नहीं है. मौजूदा सरकार ने वित्तीय चतुराई दिखाते हुए आंकड़ों की बाजीगरी की है जिससे देश की आर्थिक हालत की वास्तविक स्थिति का पता नहीं चलता. इनकम टैक्स एक्ट में इस बार 85 बदलाव किए गए हैं जिन्हें समझना आम जनता के बस में नहीं है. डायरेक्ट टैक्स कोड का ड्राफ्ट भी अपडेट करना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ. वहीं सरकार द्वारा दिए जीएसटी के आंकड़ें भी निराश करते हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली को फसल बीमा जैसे मुद्दे पर भी कुछ ऐलान करने चाहिए थे जो बजट से नदारद होने से किसान निराश हुए हैं.

बजट की इन बातों की तारीफ की पी चिदंबरम ने कहा कि बजट में अच्छी बातों के नाम पर 2-3 मुद्दे ही हैं जैसे 3 लाख से ऊपर कैश ट्रांजेकेशन पर रोक, राजनीतिक पार्टियों को 2000 रुपये से ज्यादा कैश चंदे पर रोक, इलेक्शन बॉन्ड आदि की तारीफ की जा सकती है. वहीं हाउसिंग के अतिरिक्त कैपिटल गेन टैक्स से जुड़ी राहत देने के लिए अरुण जेटली को बधाई देनी चाहिए. 500 से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट सीटें, दिव्यांगों के लिए अतिरिक्त सुविधाओं का स्वागत किया जाना चाहिए और ये अच्छे ऐलान हैं जो राहत देंगे. लेकिन कुल मिलाकर ये बजट एक पटाखा बजट है जिसमें सिर्फ शोर हासिल हुआ है.

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