नई दिल्लीः जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री ने सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर चार फीसदी करने की मांग की है. इसके साथ ही तराशे और पालिश किये गये हीरे और रत्नों पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर 2.5 फीसदी करने की मांग की है. इंडस्ट्री ने 1 फरवरी को आने वाले बजट में इन उपायों के साथ ही उद्योग के लिये कार्यशील पूंजी के वास्ते कर्ज या लोन नियमों को सरल बनाने पर भी जोर दिया है.
अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद-गोल्ड एंड जेम्स काउंसिल (जीजेसी) के चेयरमैन अनंत पद्मनाभन ने वित्त मंत्री को लिखी चिटठी में कहा है कि चालू खाते के घाटे-करेंट अकाउंट डेफिसिट (कैड) पर लगाम लगाने के लिए सोने पर 10 फीसदी का आयात शुल्क लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी बजट में कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए कर्ज नियमों को उदार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जून, 2017 में भारत का व्यापार घाटा उम्मीद से ज्यादा घटकर 12.96 अरब डॉलर पर आ गया, लेकिन सोने पर आयात शुल्क बढ़ने से ‘अवैध कारोबार’ बढ़ रहा है.
पद्मनाभन ने कहा कि पैन कार्ड के तहत कारोबार सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए.
जीजेईपीसी ने भी की ये मांग
इस बीच, रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद-जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल ने भी सरकार से तराशे हीरे और पालिश रत्नों पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी करने की मांग की है.
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के निदेशक सौरभ गाडगिल ने कहा कि कमोडिटी लेनदेन टैक्स-कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) के खत्म होने से ‘डब्बा’ कारोबार पर रोक लग सकेगी.
कल्याण ज्वेलर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक टी एस कल्याणरमन ने कहा कि टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है इससे लोगों के पास खर्च के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा.
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