Green Bonds: क्या होते हैं ग्रीन बॉन्ड जिसमें निवेश करने पर मिलेगा अच्छा रिटर्न, यहां पढ़ें हर जानकारी
Investment Tips: ग्रीन बॉन्ड फिक्स्ड इनकम (Fixed Income Through Green Bonds) का एक तरह का निवेश है जिसके जरिए सरकार पर्यावरण और क्लाइमेट (Climate Change) में हो रहे बदलाव के लिए पैसे जुटा सकती है.
Green Bond Investment: लगातार चौथी बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी 2022 को वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए केंद्रीय बजट (Budget 2022) पेश किया. कोरोना के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने के लिए यह बजट बहुत महत्वपूर्ण है. इस बजट में वित्त मंत्री ने ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) का ऐलान किया. अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि सरकार सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Green Bonds) जारी करने की तैयारी में है. यह बॉन्ड सरकार के बॉरोइंग प्रोग्राम के तहत जारी किया जाएगा. ग्रीन बॉन्ड सुनने पर लोगों के दिमाग में यह सवाल आ रहा है कि यह किस तरह का बॉन्ड है और इसमें निवेश करने पर क्या फायदा मिलेगा. तो चलिए हम आपको सभी सवालों के जवाब देते हैं कि ग्रीन बॉन्ड का मतलब क्या है (What is the Meaning of Green Bonds) और इसमें निवेश से क्या लाभ मिलेगा-
ग्रीन बॉन्ड का मतलब क्या है?
ग्रीन बॉन्ड फिक्स्ड इनकम (Fixed Income Through Green Bonds) का एक तरह का निवेश है जिसके जरिए सरकार पर्यावरण और क्लाइमेट (Climate Change) में हो रहे बदलाव के लिए पैसे जुटा सकती है. यह बॉन्ड एसेट से लिंक्ड होती है और जारी करने वाले की बैलेंस शीट (Balance Sheet) से भी जुड़ा होता है. इस तरह के बॉन्ड निवेशकों के बीच में पहले भी बहुत फेमस रहे हैं. वहीं सरकारों को भी यह बॉन्ड इसलिए पसंद आते हैं क्योंकि बेहद आसानी से किसी भी प्रोजेक्ट के लिए पैसे जुटाए जा सकते हैं.
वहीं निवेशकों को इन बॉन्ड के जरिए कम समय में बेहतर और सेफ रिटर्न (Safe Return Investment) मिलते हैं. वहीं प्राइवेट सेक्टर इक्विटी या बॉन्ड्स के जरिए लोगों को निवेश करने का मौका देती हैं. आपको बता दें कि सरकारी बॉन्ड से जुटाए हुए पैसे प्राइवेट बॉन्ड/ कॉरपोरेट बॉन्ड के लिए बेंचमार्क की तरह ही होते हैं. इन बॉन्ड में सरकार को कितना फायदा मिला है इसके आधार पर कॉरपोरेट भी इसी तरह के बॉन्ड जारी करते हैं.
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ग्रीन बॉन्ड जारी करने के पीछे का कारण?
ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार उन निवेशकों को आकर्षित करना चाह रही है जो पहले भी सरकारी बॉन्ड (Government Bonds) में पैसे लगाते रहे हैं. इस बॉन्ड को जारी करने से सरकार पर्यावरण और जलवायु प्रोजेक्ट (Fund for Environment) के लिए पैसे जुटा पाएगी. इसके साथ ही किसी भी तरह की पर्यावरण केंद्रित परियोजनाओं को तेजी मिलेगी और सरकार के पास फंड की कमी नहीं रहेगी.
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निवेशकों को क्या फायदा मिलेगा?
ग्रीन बॉन्ड में टैक्स छूट की सुविधाएं मिलती हैं, जिस कारण इसमें निवेश करना बाकी बॉन्ड के मुकाबले ज्यादा लाभकारी होता है. इससे पहले भी जर्मनी, डेनमार्क ने हाल के कुछ सालों में अपने देश में ग्रीन बॉन्ड जारी किया है. अब भारत में इसकी रूपरेखा क्या होगी यह सामने आना बाकी है लेकिन, दुनिया भर में ग्रीन बॉन्ड का बाजार (Green Bond Market) 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का है. देखना होगा कि यह भारत में कितना सफल हो पाता है. सरकार इसे वित्त वर्ष 2022-2023 (Financial Year 2022-2023) में जारी करेगी.