नई दिल्लीः जनवरी के आखिरी दिन यानी आज संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है. संसद में वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वे पेश करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में देश की विकास दर 6.75-7.5 फीसदी के बीच रहेगी. आर्थिक सर्वेक्षण की पूरी समीक्षा के जरिए जानिए कि देश की इकोनॉमी का कैसा अनुमान इस सर्वे में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम और उनकी एक्सपर्ट टीम ने तैयार किया है.
- केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के एडवांस अनुमानों के मुताबिक
वैश्विक स्तर पर सुस्ती छाई रहने के बावजूद भारत में तुलनात्मक रूप से कम महंगाई, राजकोषीय अनुशासन और सामान्य चालू खाता घाटे के साथ-साथ आम तौर पर स्थिर रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट के विशाल आर्थिक माहौल को बरकरार रखने में सफल रहा है. - वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान स्थिर बाजार मूल्यों पर जीडीपी विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह दर 7.6 फीसदी थी. यह अनुमान मुख्यत: वित्त वर्ष के प्रथम 7-8 महीनों के लिए प्राप्त सूचना के आधार पर लगाया गया है. सरकार का अंतिम उपभोग व्यय चालू वर्ष के दौरान जीडीपी में हुई विकास में मुख्य रूप से सहायक रहा है.
- वित्त वर्ष 2016-17 में नियत निवेश (सकल नियत पूंजी निर्माण) और जीडीपी का अनुपात (वर्तमान मूल्यों पर) 26.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह अनुपात 29.3 फीसदी था.
- वित्त वर्ष 2017-18 में विकास की रफ्तार सामान्य हो जाने की आशा है, क्योंकि अपेक्षित मात्रा में नये नोट चलन में आ गए हैं, और इसके साथ ही नोटबंदी के बाद आवश्यक कदम भी उठाए गए हैं. यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़ कर वर्ष 2017-18 में 6.75 फीसदी से लेकर 7.5 फीसदी के स्तर तक आ जाएगी.
राजकोषीय - इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में अप्रैल–नवम्बर 2016 के दौरान 26.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
- अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में हुआ विकास मुख्यत: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के फलस्वरूप वेतन में हुई 23.2 फीसदी की बढ़ोतरी और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान में की गई 39.5 फीसदी की विकास की बदौलत संभव हो पाई.
महंगाई/उपभोक्ता कीमतें
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई दर लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में रही. सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर वर्ष 2014-15 के 5.9 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में 4.9 फीसदी के स्तर पर आ गई और अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान यह 4.8 फीसदी दर्ज की गई थी.
- होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर वित्त वर्ष 2014-15 के 2.0 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में (-)5 फीसदी रह गई और यह अप्रैल-दिसंबर 2016 में औसतन 2.9 फीसदी आंकी गई.
- महंगाई दर पर बार-बार खाने-पीने की चीजों के संक्षिप्त समूह का ही असर देखा जा रहा है. इनमें से दालों का योगदान खाद्य महंगाई में निरंतर देखा जा रहा है. सीपीआई आधारित कोर महंगाई दर यानी रिटेल महंगाई चालू वित्त वर्ष के दौरान लगभग 5 फीसदी के स्तर पर टिकी हुई है.व्यापार/बिजनेस
- निर्यात में दर्ज की जा रही ऋणात्मक विकास का रुख कुछ हद तक वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधार के लक्षण दर्शाने लगा, क्योंकि निर्यात 0.7 फीसदी की विकास के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. वहीं, वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान आयात 7.4 फीसदी घटकर 275.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर आ गया.
- वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान व्यापार घाटा कम होकर 76.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 100.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था.
- वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होकर जीडीपी के 0.3 फीसदी पर आ गया, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की प्रथम छमाही में यह 1.5 फीसदी और 2015-16 के पूरे वित्त वर्ष में यह 1.1 फीसदी रहा था.
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तेज आवक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की शुद्ध आवक सीएडी के वित्त पोषण के लिहाज से पर्याप्त रहीं, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में विकास का रुख रहा.
- वित्त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीओपी के आधार पर 15.5 अरब अमेरिकी डॉलर की विकास दर्ज की गई.
वर्ष 2016-17 के दौरान रुपये का प्रदर्शन अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर रहा है.
विदेशी कर्ज - सितंबर 2016 के आखिर में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 484.3 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया, जो मार्च 2016 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी कर्ज बोझ के मुकाबले 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर कम है.
- सितंबर 2016 में विदेशी कर्ज के ज्यादातर मुख्य संकेतकों ने मार्च 2016 के मुकाबले सुधार का रुख दर्शाया. कुल विदेशी कर्ज में अल्पकालिक ऋणों का हिस्सा सितंबर 2016 के आखिर में कम होकर 16.8 फीसदी रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार ने कुल विदेशी कर्ज बोझ के 76.8 फीसदी को कवर किया.
- कर्ज बोझ से दबे अन्य विकासशील देशों के मुकाबले भारत के मुख्य ऋण संकेतक बेहतर रहे हैं और भारत की गिनती अब भी इस लिहाज से कम असुरक्षित देशों में होती है.
कृषि/एग्रीकल्चर
- कृषि क्षेत्र की विकास दर वर्ष 2016-17 में 4.1 फीसदी रहने का अुनमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह दर 1.2 फीसदी रही थी. कृषि क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन को आश्चर्यजनक नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि पिछले दो वर्षों के मुकाबले चालू वर्ष में मानसून काफी बढि़या रहा.
- वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा 616.2 लाख हेक्टेयर आंका गया, जो पिछले वर्ष के समान हफ्ते में दर्ज किये गये रकबे के मुकाबले 5.9 फीसदी अधिक है.
- वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को गेहूं का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान हफ्ते में दर्ज किये गये रकबे की तुलना में 7.1 फीसदी अधिक रहा. इसी तरह वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को चने का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान हफ्ते में आंके गए रकबे के मुकाबले 10.6 फीसदी ज्यादा रहा.
इंडस्ट्रियल ग्रोथः
- वर्ष 2016-17 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ की विकास दर के कम होकर 5.2 फीसदी के स्तर पर आ जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह विकास दर 7.4 फीसदी थी. अप्रैल-नवम्बर, 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 0.4 फीसदी की मामूली विकास दर्ज की गई है.
- 8 मुख्य कोर सेक्टर जैसे कोयला, कच्चा तेल, नैचुरल गैस, रिफाइनरी उत्पाद, फर्टिलाइजर्स, इस्पात, सीमेंट और बिजली उद्योगों ने अप्रैल-नवम्बर 2016-17 के दौरान 4.9 फीसदी की संचयी विकास दर दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह दर 2.5 फीसदी थी. अप्रैल-नवम्बर 2016-17 के दौरान रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरकों, इस्पात, बिजली और सीमेंट के उत्पादन में अच्छी-खासी विकास दर्ज की गई, जबकि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन गिर गया. वहीं, कोयले की उत्पादन विकास दर में समान अवधि के दौरान गिरावट का रुख देखा गया.
- कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन (भारतीय रिजर्व बैंक, जनवरी 2017) से यह तथ्य सामने आया है कि वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल बिक्री में 1.9 फीसदी की विकास हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही में यह विकास दर महज 0.1 फीसदी रही थी. वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान इसके शुद्ध मुनाफे में 16.0 फीसदी की उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही के दौरान इसमें 11.2 फीसदी की विकास आंकी गई थी.
सर्विस सेक्टर
वर्ष 2016-17 में सर्विस सेक्टर की विकास दर 8.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2015-16 में दर्ज की गई विकास के लगभग बराबर है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों को मिली अच्छी–खासी धनराशि की बदौलत लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में उल्लेखनीय विकास हुई है. इसी को देखते हुए सर्विस सेक्टर द्वारा तेज रफ्तार पकड़ने का अनुमान लगाया गया है.
सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और मानव विकास
संसद में ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ पारित हो गया है. इस अधिनियम का उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ-साथ इनमें और ज्यादा विकास सुनिश्चित करना है. इस अधिनियम में सरकारी प्रतिष्ठानों की रिक्तियों में उन लोगों के लिए आरक्षण स्तर को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी करने का प्रस्ताव किया गया है, जिनमें विकलांगता अपेक्षाकृत ज्यादा है और जिन्हें ज्यादा सहायता की जरूरत पड़ती है.
बजट से जुड़ी और खबरों के लिए यहां क्लिक करें
काला धन मालिकों को झटकाः देश के 18 लाख टैक्सपेयर्स को देनी होगी सफाई
टैक्स स्लैब बढ़कर अगर 4 लाख हुआ तो इतना बचेगा आपका टैक्स !
बजट में लग सकता है झटकाः सर्विस टैक्स बढ़कर 16-18% तक हो सकता है
बजट 2017: जानें ये 5 बातें जो इस बजट को बना रही हैं खास
बजट सत्र में राष्ट्रपति ने कहा ‘सरकार ने आतंक-कालेधन की फंडिंग पर लगाई लगाम
अरुण जेटली ने पेश किया आर्थिक सर्वेः 2017-18 में विकास दर 6.75-7.50% रहने का अनुमान
बजट विशेषः इस साल बजट बनाने में महिला अधिकारियों का योगदान ज्यादा
ब्याज दरें कम होने से EMI घटने के साथ-साथ होंगे ये बड़े फायदे
पांच महीनों तक चलती हैं बजट की तैयारियां, ऐसे तैयार होती हैं आर्थिक नीतियां!
बजट विशेष: वित्त मंत्रालय में हर शख्स पर रहती है CCTV की नज़र, टैप होते हैं अधिकारियों के फोन!