नई दिल्लीः मोदी सरकार देश के करदाता वर्ग को भी राहत देने की तैयारी कर रही है. 1 फरवरी को संसद में मोदी सरकार अपना आख़िरी बजट पेश करेगी. चुनावी साल होने के कारण सरकार अंतरिम बजट ही पेश करेगी लेकिन उसमें मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत मिलने की संभावना है. कयास लग रहे हैं कि वित्त मंत्री अरुण जेटली 4 लाख रुपये तक की आमदनी को इनकम टैक्स से छूट दे सकते हैं.

फिलहाल ढाई लाख रुपये तक की आय पर लोगों को कोई टैक्स नहीं देना होता है. इस टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 4 लाख रुपये तक किया जा सकता है. लंबे समय से टैक्स स्लैब में बदलाव करने की मांग की जा रही है. मौजूदा टैक्स स्लैब को देखें तो

ढाई लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है.
ढाई लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय वर्ग वालों को 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.
5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय वालों को 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.
10 लाख रुपये से ज्यादा आय इनकम वालों पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
इसके अलावा हेल्थ और एजूकेशन सेस लगता है जो कि इनकम टैक्स का 4 फीसदी होता है.

सरचार्ज
जिन लोगों की कुल आय 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है. वहां 10 फीसदी सरचार्ज लगता है.
जिन लोगों की कुल आय 1 करोड़ रुपये से ऊपर है. वहां 15 फीसदी सरचार्ज लगता है.

60 से 80 साल के आयु वाले करदाताओं के लिए इनकम टैक्स स्लैब
60 साल से 80 साल तक की आयु वाले इनकम टैक्सपेयर्स के लिए 3 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना होता है. वहीं 80 साल से ऊपर की आय वाले करदाता के लिए पांच लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता.

60 से 80 साल वाले लोगों के लिए इनकम टैक्स स्लैब
60 से 80 साल की आयु वाले बुजुर्ग की आय यदि 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है तब 5 फीसदी इनकम टैक्स लगेगा.
5-10 लाख रुपये की आय वाले लोगों पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.
10 लाख से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा.
इसके अलावा हेल्थ और एजूकेशन सेस लगता है जो कि इनकम टैक्स का 4 फीसदी होता है.

80 साल से ज्यादा आयु वाले इनकम टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स स्लैब
वहीं 80 वर्ष से ज्यादा आयु वाले इनकम टैक्सपेयर को 5-10 लाख रुपये सालाना आय पर 20 फीसदी टैक्स देना होता है और 10 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा.