नई दिल्लीः बजट और रोजगार से जुड़ी उम्मीदें... ये कुछ ऐसा है जिसको पूरा करने के लिए सालों से मांग की जा रही है और इसके पीछे सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि सरकार के पास इसको लेकर योजना तो है लेकिन ये अपने लक्ष्य को पूरा करती नहीं दिख रही है. अब सरकार से मांग की जा रही है कि जॉब सेक्टर को लेकर सरकार इस बजट में कुछ ऐसे एलान करे जिससे रोजगार के मोर्चे पर ठोस काम हो सके क्योंकि देश की युवा आबादी का बड़ा तबका इस समय बेरोजगारी के दंश को झेल रहा है.
मोदी सरकार 2.0 के सामने जो चुनौतियां हैं उनमें जॉब सेक्टर की चिंताओं को दूर करना सबसे अहम माना जा सकता है क्योंकि देश की युवा शक्ति जब काम पर होगी तब ही देश तरक्की के रास्ते पर आगे चल पाएगा. वर्ना धीरे-धीरे एक समय ऐसा आएगा जब बेरोजगारी का असर देश की ग्रोथ पर पड़ने लगेगा और इसका असर इतना गहरा होगा कि इसे दूर कर पाना अभी के वक्त से भी बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगा. ऐसे में स्टार्ट-अप्स के लिए भी सरकार को नए प्लान बनाने होंगे.
अपनी दूसरी पारी में मोदी सरकार कृषि सेक्टर, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, रियल एस्टेट सेक्टर पर तो ध्यान देगी ही क्योंकि ये देश की ग्रोथ के इंजन को चलाने वाले कारक हैं. लेकिन इन सेक्टर्स में जॉब क्रिएशन करना सरकार के लिए और इन सेक्टर्स की ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी हैं. सटार्ट-अप्स की तरफ ध्यान देना भी बहुत जरूरी है.
किन-किन सेक्टर्स में हो सकता है जॉब क्रिएशन
फार्म सेक्टर
रिटेल सेक्टर
कृषि सेक्टर
विनिर्माण सेक्टर
डिजिटल सेक्टर
टेलीकॉम सेक्टर
सरकार की तरफ से क्या है तैयारी
सरकार ने एक ऐसी सकीम लाने का वादा किया है जिसके तहत आंत्रप्रेन्योर्स को 50 लाख रुपये तक का कोलेट्रल फ्री क्रेडिट दिया जाएगा और इस लोन में से 50 फीसदी शर्तिया तौर पर महिला आंत्रप्रेन्योर्स को और 25 फीसदी पुरुष आंत्रप्रेन्योर्स को दिया जाएगा. मोदी सरकार ने साल 2024 तक 50,000 नए स्टार्ट-अप्स लगाने की बात कही है और इसके अलावा 20,000 करोड़ रुपये का 'सीड स्टार्ट अप फंड' बनाने की बात कही है. इसके अलावा बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया है कि अगले 5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की बात कही है जो निश्चित तौर पर जॉब्स क्रिएट करने में सरकार की मदद करेगा.
अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो यानी संकल्प पत्र में बीजेपी ने अगले 5 सालों में एक लाख डिजिटल गांव बनाने की बात कही है. इसके अलावा अटल इनोवेशन सेंटर्स को स्किल ट्रेनिंग और इनोवेशन चैलेंज के लिए और अधिक समृद्ध किया जाएगा.
निर्मला सीतारमण के लिए असली चुनौती
5 जुलाई को आने वाला बजट असल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए जॉब्स के मोर्चे पर कड़ी परीक्षा साबित होने जा रहा है और इसके लिए उन्होंने कुछ तैयारियां भी की होंगी. लेकिन इनका असर कम से कम अगले बजट तक दिखना चाहिए क्योंकि देश की विकास की रफ्तार को गति देने के लिए ये ही वो कारक है जिसमें हम चीन से बेहद पीछे चल रहे हैं.
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