नई दिल्लीः देश को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में समर्पित आम बजट 2019-20 आज संसद में पेश हो गया. बजट में ये भी बताया गया कि मौजूदा वित्त वर्ष में ही भारत की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी. विपक्ष की तरफ से कांग्रेस का आरोप है कि इस बजट में कुल राजस्व, कुल व्यय, वित्तीय घाटा और राजस्व घाटे को लेकर कोई आंकड़े नहीं दिए गए जो कि सच है.
अपने बजट भाषण के अंत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्होंने सरकारी स्कीमों के लिए जो बजटीय आवंटन है उसका जिक्र अपने संबोधन में नहीं दिया और ये बजट दस्तावेज में पढ़ा जा सकता है. तो जो बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आपको नहीं बताई वो हम आपको यहां बताने वाले हैं. यहां जानिए किस मद में कितना खर्च सरकार करने वाली है और सरकारी स्कीमों के लिए कितना बजट रखा गया है.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए सरकार ने बजटीय आवंटन बढ़ा दिया है. इसके लिए वित्त वर्ष 2018 की तुलना में 22.6 फीसदी ज्यादा बजट एलोकेट किया गया है और 19,000 करोड़ रुपये इस मद में दिए जाएंगे. वित्त वर्ष 2018 में ये 15500 करोड़ रुपये रहा था.
मनरेगा के आवंटन में 9 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती देने पर बल दिया है. इसी के मद्देनजर सरकार ने मनरेगा के आवंटन में 9 प्रतिशत की वृद्धि की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2018-19 के मुकाबले इस बार पांच हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी का एलान किया. वित्त वर्ष 2018-19 में मोदी सरकार ने 55 हजार करोड़ रुपये मनरेगा के लिए आवंटित किया था. वहीं इस बार यह राशि बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये कर दी गई है. यह 9 प्रतिशत का इजाफा है.
एमएसएमई के लिए
एमएसएमई के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 350 करोड़ रुपये बजटीय आवटंन के रूप में तय किए गए हैं. एमएसएमई की ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत सभी जीएसटी रजिस्टर्ड एमएसएमई के लिए 2 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी (नए और वृद्धिशील कर्ज) के लिए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 350 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
रेलवे के लिए
साल 2018-2030 के दौरान रेलवे के बुनियादी ढांचे के लिए 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी. एफएएमई योजना के दूसरे चरण के लिए आने वाले 3 सालों के लिए 10,000 करोड़ रुपए का व्यय मंजूर किया गया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण
1.5 करोड़ घर गांवों में बनाए जा चुके हैं और इस योजना के दूसरे चरण के तहत 1.95 करोड़ घरों को बनाने की योजना है. पहले जहां एक घर बनने में (साल 2015-16 में) 314 दिन लगते थे वहीं 2017-18 में इसकी गति बढ़कर 114 दिन हो गई और एक घर 114 दिनों में तैयार होने लगा. हालांकि इस मद के लिए भी सरकार ने कितना एलोकेशन किया है ये जानकारी बजट में नहीं दी गई है.
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी
इसके तहत 81 लाख घरों को सेंक्शन मिला और इस समय 47 लाख घरों में निर्माण कार्य चल रहा है. 26 लाख घरों का काम पूरा हो चुका है और इसमें से 24 लाख घर लाभार्थियों को दिए जा चुके हैं. हालांकि आगे इस योजना के लिए सरकार ने कितनी बजटीय राशि का प्रावधान रखा है इसकी जानकारी नहीं दी है.
शिक्षा के लिए बजटीय प्रावधान
देश में विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान बनाने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (ICDS) के लिए बजट आवंटन
साल 2018-19 में आईसीडीएस के लिए 23,357 करोड़ रुपये दिए गए थे और इस बजट में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 27,584 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है.
स्वास्थ्य क्षेत्र को मिला 62,659.12 करोड़ रुपये
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को 62,659.12 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. यह धनराशि बीते दो वित्तीय वर्षों में दी गई धनराशि से कहीं अधिक है. साल 2018-2019 के लिए पेश बजट में इस क्षेत्र को 52,800 करोड़ रुपये दिये गए थे. यानी स्वास्थ्य के लिए बजटीय आवंटन में इस बार 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
आयुष्मान भारत योजना को मिला इतना बजटीय आवंटन
बजट में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (एबी-पीएमजेएवाई) को 6400 करोड़ रुपये दिये गए हैं जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र का बजटीय आवंटन 60,908.22 करोड़ रुपये का है.
आयुष्मान भारत हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर के लिए बजटीय आवंटन
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत ‘आयुष्मान भारत हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर’ की स्थापना के लिए 249.96 करोड़ रुपये जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 1,349.97 करोड़ रूपयों का आवंटन किया गया है. इस कार्यक्रम के तहत करीब 1.5 लाख उपकेंद्रों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को 2022 तक हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर्स में बदला जाना है. इन केंद्रों पर ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, कैंसर और जरावस्था से संबंधित बीमारियों का उपचार मुहैया कराया जायेगा.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए 32,995 करोड़ रुपये दिये गए हैं जबकि बीते बजट में इस मद में 30,129.61 करोड़ रुपये दिये गए थे। इस मिशन के एक घटक ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना’ के लिए 156 करोड़ रुपये दिये गए हैं जबकि बीते साल इसमें 1,844 करोड़ रुपये दिये गए थे. यानी इस मद में कटौती की गई है. सरकार ने राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए बीते साल के आवंटित 2,100 करोड़ रुपये में 400 करोड़ रुपये का इजाफा करते हुये इसे 2,500 करोड़ रुपये कर दिया है.
एम्स का बजटीय आवंटन
अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) को 3,599.65 करोड़ रुपये दिये गए हैं और पिछले वित्त वर्ष में इस संस्थान को 3,018 करोड़ रुपये दिये गए थे. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में दस करोड़ रुपये की कमी की गई है. इसका बजट बीते साल के 50 करोड़ रुपये की तुलना में 40 करोड़ रुपये किया गया है. सरकार ने कैंसर, मधुमेह और कार्डियो-वस्कुलर बीमारी और दिल के दौरों की रोकथाम के लिए आवंटित राशि 175 करोड़ रुपये बताई है जबकि बीते साल यह आंकड़ा 295 करोड़ रुपये का था.
जिला अस्पतालों को नए मेडिकल कॉलेज में तब्दील करने के लिए 2000 करोड़ रुपये का आवंटन
सरकार ने जिला अस्पतालों को नए मेडिकल कॉलेज में तब्दील करने के लिए दो हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है.इसके अलावा 1361 करोड़ रुपये सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए (स्नातक स्तर) दिये गए हैं साथ ही राज्य पैरामेडिकल साइंस संस्थान और पैरामेडिकल शिक्षा के कॉलेजों की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये दिये गए हैं.
ग्रामीण इलाकों में विद्युतीकरण
बजट में जानकारी दी गई है कि उजाला स्कीम के तहत अब तक 35 करोड़ एलईडी बल्ब मुफ्त बांटे जा चुके हैं और उजाला स्कीम के जरिए सरकार के 18341 करोड़ रुपये बचे हैं.
कुछ और जरूरी आंकड़े
करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD)
सरकार ने बजट में तो नहीं बताया लेकिन देश के करेंट अकाउंट डेफिसिट में काफी गिरावट आई है और साल 2013-14 में ये जीडीपी का 5.6 फीसदी था जो कि साल 2018-19 में घटकर 2.1 फीसदी हो गया है.
वित्तीय घाटा
साल 2014-15 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.9 फीसदी था जो घटकर 2018-19 में 3.3 फीसदी हो गया है.
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