नई दिल्ली: आज पेश होने वाले यूनियन बजट में भारतीय रेलवे के रोडमैप का भी ज़िक्र होगा. आखिर 2019-20 में भारतीय रेलवे किस दिशा में आगे बढ़ेगी, कमाई बढ़ेगी या घटेगी, रेल मुसाफिरों को सुविधाएं मिलेंगी या फिर निजी निवेश बढ़ेगा. ऐसे तमाम अहम सवालों के जवाब पांच जुलाई को यूनियन बजट से मिलेगा. लेकिन इससे पहले हम आपको बताते हैं कि रेलवे बजट में क्या कुछ हो सकता है.


बिगड़ सकता है रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो
ऑपरेटिंग रेश्यो दरअसल रेलवे की फाइनेंसियल हेल्थ का पैमाना है. ऑपरेटिंग रेश्यो का सीधा मतलब है कि एक रुपए कमाने के लिए रेलवे को कितना खर्च करना पड़ता है.


सूत्रों के मुताबिक, आगामी बजट में ऑपरेटिंग रेश्यो बिगड़ कर 95.5 - 96 तक का रह सकता है. रेल मंत्री ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में ऑपरेटिंग रेश्यो का लक्ष्य 95% तय किया था. लेकिन कमाई नहीं बढ़ने और ऊपर से बढ़ रहे आर्थिक बोझ के चलते रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो बिगड़ सकता है, जोकि रेलवे के लिए अच्छा संकेत नही है.


रेलवे सुरक्षा फंड
इस साल बजट में रेलवे सुरक्षा फंड के लिए 5000 करोड़ रुपए आवंटित किए जा सकते हैं. इस फंड का इस्तेमाल सुरक्षा संबंधी कार्यों पर होगा.


रेलवे कैपेक्स घटने की आशंका
इस बार रेलवे का कैपेक्स 1.58 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.51 लाख करोड़ रुपए तक रह सकता है. कैपेक्स का इस्तेमाल नेटवर्क एक्सपैंशन, सिग्नल अपग्रेडेशन और रेल ट्रैक मेंटेनेंस पर होगा.


ग्रॉस बजट्री सपोर्ट में कमी की संभावना
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र से मिलने वाला ग्रॉस बजट्री सपोर्ट (GBS) जोकि 64587 करोड़ रुपए है, ये घटकर 60,000 करोड़ रुपए तक रह सकता है.


नहीं होगा नई ट्रेन का एलान
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस पहले बजट में किसी नई ट्रेन को चलाने का नहीं होगा एलान.


सफर के अनुभव को बेहतर करने पर ज़ोर
यात्रियों की रेल यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के मकसद से रेलवे स्टेशन पर बेसिक इनफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और इजाफा होगा. मसलन- लिफ्ट, एसकेलेटर, स्टेशन वेटिंग एरिया, एलईडी लाइटिंग से स्टेशन और परिसर को जगमगाना, शौचालय.


निजी निवेश
निजी निवेश को बढ़ाने के लिए रेलवे अपने दरवाज़े खोलेगी.


सड़क और परिवहन मंत्रालय


ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की बड़ी मांग, वित्त मंत्रालय से 1 लाख 20 हज़ार करोड़ रुपए की मांग की, आगामी बजट से सड़क परिवहन मंत्रालय को बड़ी उम्मीद है,. पिछले बजट की तुलना में, 37000 करोड़ रुपए अधिक बजट की मांग की गई है. अंतरिम बजट में सड़क परिवहन मंत्रालय को तकरीबन 83000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान  केंद्र ने सड़क परिवहन मंत्रालय के लिए मुहैय्या कराया था. मंत्रालय अधिकारियों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 37000 करोड़ रुपए की बढ़ी हुई मांग के पीछे 2 अहम वजह हैं.


पहला, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के लंबित खर्चों को पूरा करना


दूसरा, बिना निजी निवेश के इनफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के ऊंचे टारगेट को पूरा करना, खासकर भूमि अधिग्रहण का भार भी उठाना.


नागरिक उड्डयन


नागरिक उड्डयन यानी एविएशन इंडस्ट्री की बजट से उम्मीद कुछ ज्यादा नहीं है. एविएशन सेक्टर के जानकारों के मुताबिक एविएशन इंडस्ट्री ने वित मंत्री के सामने दो बड़ी मांगे रखी हैं.


पहली की एविएशन फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए ताकि फ्यूल की कीमत पर असर पड़े. इससे हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को फायदा पहुंचेगा. हालांकि फिलहाल पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी में नहीं आते हैं.


वहीं, दूसरी मांग ये है कि एमआरओ यानी मेंटेनेंस रिपेयर एंड ओवरऑल (Maintence Repair And Overall)  पर लग रहे जीएसटी को कम किया जाए, ताकि भारतीय कंपनी को ईक्वल लेवल प्लेयिंग फील्ड मिले. इससे ना सिर्फ ये काम भारत में होगा, बल्कि नौकरियां भी मिलेंगी. इस पर सरकार विचार कर सकती है.


सूत्रों के मुताबिक बजट में एयर इंडिया को कुछ राहत पहुंचाने के लिए पैकेज मिल सकता है.