नई दिल्ली: मोदी सरकार जल्द ही अपने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी साल का 'बजट' देश के सामने पेश करने वाली है. अब जबकि ये मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी साल है तो इस बार मोदी सरकार पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश करेगी. अंतरिम बजट को संविधान के अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है. इसमें सरकार किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाती है. बजट में सरकार कुछ महीने का खर्च चलाने के लिए विभागवार आवंटन कर की धनराशि की मांग संसद के सामने रखती है. इस बजट में सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं लेती है.


वहीं पूर्ण कालिक बजट को संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत संसद में पेश करती है. आम बजट में सरकार पूरे साल भर का वित्तीय लेखा-जोखा पेश करती है. आज हम आपको बताते हैं कि असल में बजट कितने तरह के होते हैं.


1. आम बजट


आम बजट को संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत पेश किया जाता है . इसके अंतर्गत सरकार अपने साल भर का लेखा जोखा संसद के सामने पेश करती है. बजट एक तरह से भविष्य के लिए की गई योजना है. जिसके अंतर्गत सरकार अपने राजस्व और खर्चों का अनुमान लगाकर पेश करती है. बजट में सरकार के साल भर के आय और व्यय का लेखा जोखा होता है. जिसमें सरकार अपने साल भर के खर्च और आय के बारे में संसद को बताती है. सरकार के द्वार पेश किया गया कोई भी बिल 'बजट' है या नहीं इसका फैसला लोकसभा का स्पीकर करता है. बजट शब्द का जन्म लैटिन शब्द बुल्गा से हुआ है. इसका मतलब चमड़े का थैला होता है. भारत में पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया. आजाद भारत का पहला बजट आर. के. षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया.


2.अंतरिम बजट


अंतरिम बजट को अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है. इसमें सरकार किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाती है. बजट में सरकार कुछ महीने का खर्च चलाने के लिए विभागवार आवंटन कर की धनराशि की मांग संसद के सामने रखती है. इस बजट में सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं लेती है. भारत के संविधान में अंतरिम बजट का कोई जिक्र नहीं है. आजाद भारत में पहली बार अंतिरम बजट मोरारजी देसाई ने साल 1962-63 में सरकार के सामने रखा था. इसी तरह साल 1991 में वी पी सिंह की सरकार गिर जाने के बाद यशवंत सिन्हा ने अंतिरम बजट पेश किया था.


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3. शून्य-आधारित बजट


शून्य-आधारित बजट (ZBB) बजट बनाने की एक विधि है. इसके अंतर्गत सभी मदों पर पूरी तरह से नए सिरे से विचार किया जा जाता है. इसके अंतर्गत न तो पुराने खर्च पर विचार किया जाता है और न ही पिछले साल के व्यय को आगे भविष्य के लिए प्रयुक्त किया जाता है. आम तौर पर इस बजट को तब पेश किया जाता है जब देश के बजट में घाटा लगातार बढ़ता जा रहा हो और इसे नियंत्रित करना जरूरी होता है. इस बजट के में कमी या फिर वृद्धि के स्थान पर ये तय किया जाता है कि खर्च किया जाए या नहीं.


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4. निष्पादन बजट


निष्पादन बजट को कार्यपूर्ति बजट भी कहा जाता है. इसके अंतर्गत ये देखा जाता है कि सरकार क्या कर रही है? कितना कर रही है? और किस कीमत पर कर रही है. इन सभी बातों को इसमें शामिल किया जाता है. इस बजट में आय व्यय की जगह का परिणाम को आधार बनाया जाता है. इस बजट की शुरुआत अमेरिका से हुई थी.



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