नई दिल्ली: 125 करोड़ भारतीयों के देश में 5 लाख से ज्यादा आय वाले सिर्फ 76 लाख लोग हैं. आपको ये आंकड़ा जानकर जरूर हैरानी हुई होगी पर आधिकारिक डेटा तो यही कहता है. वित्त मंत्री अरूण जेटली अपने बजट भाषण में कुछ आंकड़े दिये जिससे यह संकेत मिलता है कि देश का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन अर्थव्यवस्था में आय और खपत के मुकाबले सही नहीं है.
वित्त वर्ष 2015-16 में 3.7 करोड़ लोगों ने टैक्स रिटर्न भरा जिसमें ने 99 लाख ने अपनी आय छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से कम दिखायी. 1.95 करोड़ ने अपनी आय 2.5 से 5.0 लाख रुपये जबकि 52 लाख ने अपनी आय 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये दिखायी. केवल 24 लाख लोगों ने अपनी आय 10 लाख रुपये से अधिक दिखायी. वहीं कुल 76 लाख टैक्सपेयर्स ने अपनी आय 5 लाख रुपये से ज्यादा दिखायी, उसमें से 56 लाख वेतनभोगी यानी सैलरीड हैं.
जेटली ने कहा कि आयकर रिटर्न में अपनी आमदनी 50 लाख रुपये से अधिक दिखाने वाले केवल 1.72 लाख लोग हैं. उन्होंने कुछ आंकड़े रखे जिससे यह संकेत मिलता है कि देश में केवल 76 लाख भारतीय अपनी आय 5 लाख रुपये से अधिक दिखाते हैं जो कि सही नहीं लगता है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तविकता है कि पिछले पांच साल में 1.25 करोड़ से अधिक कारें बिकी और वहीं 2015 में 2 करोड़ व्यापार या पर्यटन के लिये विदेश गयें.’’ जेटली ने कहा कि भारत का टैक्स-जीडीपी रेश्यो बहुत कम है और डायरेक्ट टैक्स से इनडायरेक्ट टैक्स अनुपात सामाजिक न्याय लिहाज के मुताबिक सही नहीं दिखता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि लगभग 4.2 करोड़ लोग संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं लेकिन वेतन के लिये केवल 1.74 करोड़ लोगों ने रिटर्न फाइल किये. वहीं असंगठित क्षेत्र में 5.6 करोड़ निजी कारोबारी और कंपनियां कार्यरत हैं लेकिन इस श्रेणी में रिटर्न केवल 1.81 करोड़ है.