नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में कोई स्पष्ट ‘रोडमैप’ नहीं है. उन्होंने कहा कि बजट में कठोर और ढांचागत सुधारों की कमी है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान ये बातें बोल रहे थे. चिदंबरम ने सरकार ने अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक बढ़ाकर 5000 अरब डालर (5 ट्रिलियन) करने के लक्ष्य पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था हर छह-सात साल में दोगुनी हो जाती है और इसके लिए किसी वित्त मंत्री की भी जरूरत नहीं है.


पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने बजट भाषण में कई आंकड़े पेश नहीं किए. कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्त मंत्री को बजट भाषण में जरूरी आंकड़े पेश करने चाहिए था, जिससे आम लोगों को जरूरी जानकारी मिलती. कांग्रेस नेता ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संबंध में बजट दस्तावेजों और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में समानता नहीं है. उन्होंने कहा कि बजट में आर्थिक वृद्धि दर आठ प्रतिशत होने की बात की गयी है जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में यह सात प्रतिशत तय की गयी है.


पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार एकीकृत तस्वीर पेश करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि बजट में ढांचागत सुधारों की बात की गयी है लेकिन इस संबंध में कोई विस्तृत तस्वीर नहीं पेश की गयी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सरकार को भारी जनादेश मिला लेकिन उसने अर्थव्यवस्था में सुधार और विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए कठोर कदम नहीं उठाए हैं. चिदंबरम ने कहा कि बजट में निवेश बढ़ाने की बात की गयी है लेकिन यह कैसे हो पाएगा, उसका ब्यौरा नहीं दिया गया है.


कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले कुछ सालों से घरेलू बचत की दर लगभग स्थिर रही है, मोदी सरकार ने घरेलू बचत को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कोई उपाय नहीं किया है. राजस्व का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि पिछले साल सरकार लक्ष्य से काफी पीछे रहे हैं इसके बावजूद इस बार लक्ष्य ऊंचा रखा गया है. उन्होंने आयकर, सीमा शुल्क आदि का भी उल्लेख किया और कहा कि मौजूदा साल के लिए तय किए गए राजस्व का लक्ष्य वास्तविक नहीं हैं. मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि उद्योग क्षेत्र के लिए 5.55 लाख करोड़ रूपए का ऋण माफ कर दिया गया है, लेकिन किसानों के कर्ज, शिक्षा ऋण आदि माफ नहीं किए गए हैं.


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