बजट में प्रधानमंत्री किसान योजना के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दोबारा जीवित करने पर जोर
सरकार का अगला कदम यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचे. इसके लिए आम बजट में पर्याप्त धन मुहैया कराया जाएगा.
नई दिल्ली: बेशुमार खपत के आसार के मद्देनजर प्रधानमंत्री किसान योजना आ रहे बजट में बेहतर योजनाओं के केंद्र में हो सकती है. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अंतरिम बजट में सरकार ने किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आय सहायता देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान योजना या प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की घोषणा की. इस योजना के तहत प्रतिवर्ष तीन किस्तों में भुगतान के लिए 6 हजार रुपये निर्धारित हैं.
ट्रैक्टर बिक्री में आई मंदी चिंता का विषय ग्रामीण क्षेत्रों में तनाव ट्रैक्टर बिक्री में आई मंदी जैसे कई पहलुओं के कारण भी हैं. यह सामान्य मानसून रहने के पूर्वानुमान के कारण और भी बढ़ सकता है. इसलिए इस समय सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने का एक बड़ा कारण है.
मोदी सरकार ने सीमांत व छोटे किसानों से पहले सभी किसानों के लिए योजना को विस्तार दिया. इसमें अतिरिक्त 12 हजार करोड़ रुपये (शुरुआत में 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक) खर्च होंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना की घोषणा हुई, जिसमें सालाना 35 अरब रुपये का खर्च आएगा. सरकार का अगला कदम यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचे. इसके लिए आम बजट में पर्याप्त धन मुहैया कराया जाएगा.
मनरेगा के लिए शायद न बढ़े बजटीय आवंटन-सूत्र सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री किसान योजना के लिए पर्याप्त धन पर ध्यान केंद्रित करने का मतलब यह भी हो सकता है कि मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जैसी अन्य सरकारी योजनाओं के आवंटन में कोई वृद्धि न हो.
एक साल में प्रधानमंत्री किसान योजना का असर धीमा इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री किसान योजना का असर धीमा रहा है. अब तक केवल 27 फीसदी लाभार्थियों की पहचान की जा सकी है. यस बैंक की एक रिपोर्ट ने इस संबंध में एक सख्त शीर्षक दिया. इस रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि केंद्र को योजना के तहत भुगतान को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया ने कहा, "इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि ग्रामीण संकट के कारण खपत में कमी आई है. ग्रामीण आय व ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग की प्रवृत्ति अधिक है. मुझे लगता है कि ग्रामीण संकट व अनौपचारिक क्षेत्र के विघटन ने खपत को प्रभावित किया है और जीडीपी विकास दर में वृद्धि हुई है."
कुछ इसी तरह का बयान क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी ने दिया. उन्होंने कहा कि वर्तमान मंदी अधिक व्यापक है, क्योंकि यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में मंदी अधिक व्यापक है.
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