नई दिल्लीः देश का आम बजट यानी यूनियन बजट 1 फरवरी 2020 को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रस्तुत करेंगी. जैसा कि आप जानते हैं कि साल 2017 से रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाता रहा है. इस साल भी बजट के कुछ भाग में रेल बजट के एलान किए जाएंगे. इस बार के रेल बजट में सरकार की तरफ से इन एलानों की उम्मीद की जा रही है.

रेलवे को 75-80 हजार करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन मिलने की उम्मीद
जैसा कि सूत्रों के मुताबिक पता चला है, वित्त मंत्रालय से भारतीय रेलवे ने करीब एक लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन की मांग की है. हालांकि वित्त मंत्रालय की रेलवे को 75,000 करोड़ रुपये से 80,000 करोड़ रुपये तक के बजटीय आवंटन से ज्यादा देने की योजना नहीं है. बता दें कि पिछले बजट में सरकार ने रेलवे को कुल 65,873 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था.

50 स्टेशनों को लेकर घोषणा संभव
संभावना जताई जा रही है कि 50 चुने हुए रेलवे स्टेशनों को लेकर वित्त मंत्रालय उनके लिए निजी भागीदारी की मदद से विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने को लेकर कोई एलान कर सकता है.

रेलवे में पीपीपी मॉडल के जरिए कुछ और योजनाओं का एलान
रेलवे के लिए पीपीपी मॉडल के तहत कुछ और योजनाओं का एलान किया जा सकता है जैसे कि इस मॉडल के तहत कुछ और स्टेशनों और ट्रेनों के डेवलपमेंट के लिए एलान किए जा सकते है.

5-6 और ट्रेनों को निजी हाथों में देने की तैयारी
रेलवे ने पिछले साल कुछ ट्रेनों के निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है और इसके साथ ही रेल बजट में इस बार पांच-छह और ट्रेनें आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन) को दिए जाने की संभावना है. इन ट्रेनों को पहले आईआरसीटीसी को सौंपा जाएगा और कुछ समय बाद इनके संचालन का जिम्मा निजी ऑपरेटर्स को दिया जा सकता है.

रेलवे की साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए कुछ एलान संभव
रेलवे की सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों की लगातार मांग को देखते हुए इस बार कुछ विशेष एलान इस दिशा में किए जा सकते हैं.

ट्रैकों के दोहरीकरण/रेलवे के विद्युतीकरण में सुधार के लिए एलान संभव
रेलवे ट्रैकों के दोहरीकरण और इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए इस बजट में कुछ अहम एलान होने की उम्मीद जताई जा रही है.

2017 से आम बजट के साथ आता है रेल बजट
दरअसल 21 सितम्बर 2016 को केंद्र की मोदी सरकार ने फैसला किया कि अब से रेल बजट को आम बजट में ही शामिल कर लिया जाए. इसके बाद 92 सालों से चली आ रही रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा खत्म हो गई और 1 फरवरी 2017 को भारत का पहला संयुक्त बजट पेश हुआ. '

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