नई दिल्लीः आईएलएंडएफएस द्वारा कई सारे डिफॉल्ट किए जाने के बाद कैश संकट से जूझ रहे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. यह बात भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'मार्च 2020 तक एनबीएफसी सेक्टर के 47.5 खरब बांड और डॉक्यूमेंट मैच्योर होने वाले हैं. इसके बाद एनबीएफसी का अधिकांश निवेश रियल्टी क्षेत्र में है.'
रिपोर्ट में कहा गया है, एनबीएफसी क्षेत्र में कुछ खामियों के संबंध में एक मजबूत संदेश भेजने की जरूरत है. यह अधिक आवश्यक है, क्योंकि यदि एनबीएफसी सेक्टर की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो बैंकों को आगे जाकर एनपीए प्रावधानों के नए दौर का सामना करना पड़ेगा.
रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि एनबीएफसी क्षेत्र के मुद्दों पर ध्यान देना और एमएसएमई को विकास का इंजन बनाने पर बजट में ध्यान देना चाहिए. चिंता के एक अन्य बिंदु को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आवधिक कर्ज से कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा.
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर एग्री-मार्केटिंग रिफॉर्म्स काउंसिल (एएमआरसी) की स्थापना और तेजी से सिकुड़ते जल संसाधनों के दोहन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
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