म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त कई बार लोग यूलिप खरीद बैठते हैं. यूलिप यानी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान कतई म्यूचुअल फंड नहीं है. पहले यूलिप में एजेंटों को काफी कमीशन मिलता था. इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम की पहली किस्त का लगभग 60 फीसदी तक उन्हें मिल जाता था, इसलिए इसकी मिस सेलिंग होती थी. यानी लोगों को गलत जानकारी देकर या अंधेरे में रख कर यूलिप बेचे जाते थे. लेकिन इरडा की ओर से नियम कड़े किए जाने के बाद यूलिप की इस तरह की बिक्री पर काफी हद तक लगाम लगी है.


दरअसल यूलिप ऐसा इंश्योंरेंस इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें निवेश का हिस्सा जुड़ा होता है. जब आप यूलिप में पैसा लगाते हैं तो कंपनियां इसमें से लाइफ कवर और अन्य खर्चों को काट कर बाकी का पैसा निवेश करती हैं.  दरअसल प्रीमियम का पैसा सिर्फ लाइव कवर के लिए खर्च करना और रिटर्न के तौर पर कुछ न मिलना इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालों को थोड़ा अखरता है. इसलिए इंश्योरेंस कंपनियों ने यूलिप जैसे प्रोडक्ट को बढ़ाना शुरू  किया. निवेशकों में यह काफी लोकप्रिय हुए.लेकिन ये म्यूचुअल फंड के विकल्प नहीं हैं. क्योंकि यूलिप में लगाया गया आपके पैसे का एक बड़ा हिस्सा लाइफ कवर करने में खर्च हो जाता है. बाकी बची रकम का निवेश होता है. जाहिर इससे रिटर्न भी कम हो जाता है. इस वजह से यूलिप महंगा साबित होता है.


म्यूचुअल फंड को तरजीह दें


दरअसल इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के वक्त हमेशा टर्म इंश्योरेंस को तवज्जो देना चाहिए. टर्म इंश्योरेंस सस्ता होता है और लाइफ कवर करता है. हालांकि इसमें आपको रिटर्न नहीं मिलता क्योंकि आपके पैसे का किसी प्रोडक्ट में निवेश नहीं होता.


रणनीति यह होनी चाहिए कि आप टर्म इंश्योरेंस कर अपनी लाइव कवर करें. और बाकी बचे पैसों को म्यूचुअल फंड में निवेश करें.  अगर यूलिप प्लान का इनवेस्टमेंट वाला हिस्सा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो आप दूसरे इनवेस्टमेंट प्लान में स्विच कर सकते हैं इससे निकल नहीं सकते. हालांकि इसे पूरी तरह बेचे नहीं क्योंकि इससे आपका इंश्योरेंस कवर खत्म हो जाता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है लाइफ इंश्योरेंस कवर महंगा होता जाता है.