Budget 2022: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करने जा रही हैं. लेकिन कोरोना की मार के बीच उनके सामने काफी चुनौतियां भी हैं. ऐसे में अर्थव्यवस्था की रेलगाड़ी दौड़ाने के लिए वो क्या सुधार करेंगी, ये देखने वाली बात होगी. बहरहाल, इस बीच देश में कोरोना केस घट रहे हैं और सरकार का टैक्स बढ़ रहा है. इससे उम्मीद जगती है कि सरकार अब विकास की रेल को तेज गति में दौड़ा सकती है.
ऐसी ही उम्मीद आर्थिक सर्वे में भी जताई गई है. लेकिन हर वर्ग की अपनी उम्मीद हैं और ऐसे में सरकार के लिए ये राह आसान नहीं होगी. गौरतलब है कि कोरोना काल में गरीबी बढ़ गई है. मिडिल क्लास टैक्स से कराह रहा है. छोटे व्यापारी अलग परेशान हैं. उद्योग जगत की अपनी दिक्कतें हैं.
हर वर्ग की अपनी समस्या है लेकिन सरकार के सामने चुनौती है सभी को साध कर आगे बढ़ने की. बजट में इसी संतुलन की कोशिश होती है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आम लोगों की आय बढ़ा कर विकास को पटरी पर लाना.
गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में 84 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई. इसे वापस लाने के लिए वित्तमंत्री को आर्थिक विकास को रफ्तार देनी होगी. कोरोना के साये से इकोनॉमी को बाहर निकालने पर जोर देना होगा. जाहिर तौर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे. सरकारी वैकेंसी को भरना इसमें अहम कदम पर हो सकता है. संकेत मिल रहे हैं कि सरकार खर्च बढ़ाकर ये काम करना चाहती है. लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं.
खर्च बढ़ेगा तो महंगाई भी बढ़ेगी. जिस पर लगाम लगाने की जरूरत होगी. उस पर पांच राज्यों में चुनाव सामने हैं. इन राज्यों की जनता को खुश करने की जिम्मेदारी भी वित्त मंत्री पर डाली गई होगी. सबसे बड़ी बात सरकार को सेहत और शिक्षा पर खर्च बढ़ाना ही होगा.
दरअसल कोरोना काल में शिक्षा के लिए आवंटन घट गया, जिसका लंबा इफेक्ट अर्थव्यवस्था पर हो सकता है. साथ ही व्यापार पर असर से नौकरियां बड़े पैमाने पर गई हैं. हालांकि कोरोना केस कम होने से इकोनॉमी में तेजी के संकेत मिल रहे हैं. यही वजह है कि वित्त मंत्री के सामने चुनौती है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना जरूरी है क्योंकि आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की रीढ़ की हड्डी है. इसके अलावा गिरावट वाले सेक्टर को बूस्टर पैकेज देना जरूरी है. टैक्स की मार से परेशान मिडिल क्लास भी राहत की उम्मीद लगा कर बैठा है. वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि कैसे बजट के जरिए कोरोना के झटके को झाड़ कर इकोनॉमी फिर विकास की राह पर दौड़ने लगे.