Budget 2023-24: एक फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का चौथा बजट पेश किया था. उसके बाद से देश दुनिया में बहुत कुछ हुआ है जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ा है. बजट पेश होने के 23 दिनों बाद ही रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया और दोनों मुल्कों के बीच शुरू हुआ युद्ध अभी तक जारी है. लेकिन इय युद्ध ने पूरी दुनिया को मुश्किल में डाल दिया. कच्चा तेल समेत दूसरे सभी कमोडिटी के दामों में बेतहाशा उछाल देखने को मिला. खाने-पीने के दाम आसमान छूने लगे खासतौर से गेंहू और खाने के तेल का. और इसका असर भारत में भी देखने को मिला. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर जा पहुंची. और उसके बाद कई महीनों तक 7 फीसदी के ऊपर बना रहा. 


2022 में महंगाई ने मार डाला 


पेट्रोल डीजल से लेकर रसोई गैस और पीएनजी-सीएनजी महंगा हो गया. महंगाई दर में उछाल के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज महंगा करना शुरू किया तो लोगों की ईएमआई महंगी हो गई. एक तो वैसे ही आम आदमी महंगाई से परेशान था उसपर से बैंकों ने 5-6 बार ईएमआई महंगी कर दी. जिससे हर घर का बजट बिगड़ चुका है.  ऐसे में टैक्सपेयर्स की निगाह मोदी सरकार का दूसरे कार्यकाल के पांचवें बजट पर है. सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार टैक्स रेट घटाकर टैक्सपेयर्स को राहत देगी. 


5 लाख से ज्यादा आय पर टैक्स रिबेट का लाभ नहीं  


बजट को लेकर स्टेकहोल्डरों के साथ मीटिंग के दौरान स्टेकहोल्डर्स ने वित्त मंत्री से आम टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को कम कर उसे तर्कसंगत करने की मांग की है. मौजूदा समय में 2.50 लाख रुपये तक के इनकम पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. लेकिन 2.50 से 5 लाख रुपये तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. जिनकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है उन्हें सरकार 87ए नियम के तहत 12,500 रुपये तक का टैक्स रिबेट देती है. यानि 5 लाख रुपये से कम टैक्सेबल इनकम वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. पर अगर किसी टैक्सपेयर का टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख रुपये से कम है तो उसे सीधे 20 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. ऐसे लोगों को 87ए के तहत मिलने वाले 12,500 रुपये टैक्स रिबेट का लाभ भी नहीं मिलता है. और 5 लाख से ऊपर के आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा आय पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. 


कॉरपोरेट को राहत, टैक्सपेयर्स पर बोझ! 


उदाहरण के लिये, यदि किसी टैक्सपेयर का टैक्सबेल इनकम 7 लाख रुपये है तो 52,500 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता है, और यदि किसी का टैक्सबेल इनकम 12 लाख रुपये है तो उसे 1,72,500 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता है.  दरअसल टैक्सपेयर्स को 5 फीसदी के बाद सीधे 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. 10 फीसदी का बीच में कोई टैक्स स्लैब नहीं है. इसलिये टैक्स स्लैब को तर्कसंगत ( Rationalize ) करने की मांग की जा रही है. सरकार ने 2019 में कॉरपोरेट्स रेट्स में तो कमी कर दी लेकिन आम टैक्सपेयर्स को कोई राहत नहीं दी है. जबकि टैक्सपेयर्स को बीते कुछ सालों में कोरोना काल से लेकर महंगाई का सामना करना पड़ा है. 


टैक्स स्लैब रेट में कमी के आसार!


ऐसे में टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि टैक्स स्लैब रेट में सरकार बदलाव करे. 5 फीसदी के बाद सीधे 20 फीसदी इनकम टैक्स वसूलना कतई उचित नहीं है. टैक्स के जानकार तो इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने और 5 से 10 लाख रुपये तक के आय पर पर 10 फीसदी टैक्स लगाने की मांग कर रहे हैं. वैसे भी लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट ऐसे में टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि मोदी सरकार उन्हें निराश नहीं करेगी. 


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