Budget 2023: बढ़ेगी टैक्स से छूट की लिमिट या फिर खाली हाथ रहेगा मिडिल क्लास?
वित्त मंत्री 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. यह मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. ऐसे में इस बजट से हर वर्ग को काफी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं कि सरकार इनकम टैक्स के मोर्च पर क्या राहत दे सकती है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली BJP सरकार को सत्ता में आए करीब 9 साल हो गए हैं. आगामी बजट इस सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा, क्योंकि 2024 में आम चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में इस बजट से काफी उम्मीदें जताई जा रही हैं. कहा जा रहा है कि सरकार इस बजट में मिडिल क्लास खासकर सैलरीड क्लास के लिए अहम घोषणाएं कर सकती है. इनमें बेसिक डिडक्शन लिमिट बढ़ाने, टैक्स स्लैब में बदलाव, 80C व 80D जैसे डिडक्शन में बदलाव शामिल हैं.
संसद का बजट सत्र शुरू हो चुका है. आज मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की जा रही है, इसके एक दिन बाद यानी बुधवार को आम बजट पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस बजट में सबसे अधिक उम्मीदें इनकम टैक्स व इससे जुड़े बदलावों को लेकर की जा रही है. इन बदलावों में भी सबसे अहम है इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख की डिडक्शन की लिमिट. पिछले कई सालों से बजट से 80C में बदलाव की अटकलें चर्चा बटोरती आई हैं.
दरअसल इसमें कई सालों से बदलाव नहीं किया गया है. आयकर कानून में उपलब्ध डिडक्शंस में सेक्शन 80C सबसे सामान्य है. टैक्स सेविंग के लिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. इसके जरिए कोई व्यक्ति एक फाइनेंशियल ईयर में डेढ़ लाख रुपए तक निवेश करके उस पर डिडक्शन ले सकता है. यह रकम व्यक्ति की ग्रॉस टोटल इनकम से घटा दी जाती है, जिससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है. लिहाजा, उसी अनुपात में टैक्स देनदारी घटती है. साथ ही, निवेश पर आपको रिटर्न भी मिलता है.
80C का लाभ लेने के लिए टैक्सपेयर्स को खास तरह के निवेश विकल्पों में निवेश करना होता है. इनमें इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), ELSS या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड, सुकन्या समृद्धि योजना, 5 ईयर टैक्स सेविंग FD, यूलिप (ULIP), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, इंश्योरेंस प्रीमियम और होम लोन की मूल रकम का रिपेमेंट प्रमुख हैं. बच्चों की ट्यूशन फीस का खर्च भी 80C में कवर होता है. इन डिडक्शंस का लाभ पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनने पर ही मिलता है.
वित्त वर्ष 2013-14 तक आयकर अधिनियम 1961 की धारा-80C के तहत प्रति वर्ष अधिकतम एक लाख रुपए का डिडक्शन मिलता था. वित्त वर्ष 2014-15 में इसे बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए किया गया. तब से लेकर अब तक तकरीबन 8 साल से यह लिमिट यहीं बरकरार है. चूंकि यह मध्यम वर्ग खासकर वेतनभोगी लोगों के लिए टैक्स बचाने का सबसे सहज उपाय है, यह वर्ग हर बार बजट में इसमें सुधार की उम्मीद पाले रहता है. Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) ने भी अपने प्री-बजट मेमोरेंडम 2023 में 80C के तहत डिडक्शन की लिमिट को डेढ़ लाख से बढ़ाकर बजट में 2.5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया है. ICAI का कहना है कि ऐसा करने से आदमी की सेविंग बढ़ेगी.
इसके अलावा यह उम्मीद भी की जा रही है कि सरकार इनकम टैक्स से छूट के दायरे को बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर सकती है. इसी तरह एक बड़े वर्ग को टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीदें हैं. लोगों की उम्मीदों में एक और अहम चीज नई कर व्यवस्था है. सरकार ने बड़ी उम्मीदों के साथ नई कर व्यवस्था की शुरुआत की थी, लेकिन करदाताओं ने इसे लेकर उदासीन प्रतिक्रिया दी. इस कारण माना जा रहा हे कि सरकार पुरानी कर व्यवस्था में ही कुछ और बदलाव कर सकती है. अभी तक महज 18.75% लोगों ने ही नई कर व्यवस्था को अपनाया है.