Budget 2023: बजट में खेती, किसानों सहित बुनियादी ढांचे पर फोकस करेगी सरकार, पिछले साल से 15 फीसदी होगा ज्यादा
मोदी सरकार के आगामी बजट में ग्रामीण और कृषि पर खर्च में 10 अरब डॉलर का इजाफा हो सकता है. यह बजट मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा.
Rural and Infra Focused in Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी 2023 को बजट (Budget 2023) पेश करने जा रही हैं. वहीं, एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी ने इस बजट को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं. कंपनी का कहना है कि भारत में यह बजट किसानों, खेती बाड़ी, ग्रामीण और बुनियादी ढांचे पर केंद्रित होगा. साथ ही इस बजट में अगले साल होने वाले आम चुनाव (Loksabha Election 2024) को ध्यान में रखा जाएगा, यह आगामी आम बजट मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा.
जानिए कंपनी ने क्या कहा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विदेशी ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस इंडिया की अर्थशास्त्री (UBS India Economist) तन्वी गुप्ता जैन (Tanvee Gupta Jain) का कहना है कि वर्ष 2024 के मध्य में देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं. आगामी बजट से ग्रामीण और कृषि पर खर्च में 10 अरब डॉलर का इजाफा होने की संभावना है. साथ ही पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में यह खर्च 15 फीसदी अधिक रहने का अनुमान है. जिसका असर यह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में 20 प्रतिशत की वृद्धि को दोहरे अंकों में बनाए रखेगा.
कम होगा सब्सिडी का बोझ
तन्वी का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) के अपने चुनाव-उन्मुख बजट में राजकोषीय सीमाओं से परे जाने की कोई संभावना नहीं है और साथ ही उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष 2023-24 में सब्सिडी का बोझ भी कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है. इससे ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा (Rural Employment Scheme MNREGA) सहित ग्रामीण आवास, सड़कें और कई अन्य मौजूदा ग्रामीण योजनाओं की मदद में धन को पुन: आवंटन करने के लिए अधिक राजकोषीय गुंजाइश बन जाएगी.
5.5 प्रतिशत रहेगी जीडीपी
उन्होंने यह भी कहा कि धीमी वैश्विक वृद्धि और मौद्रिक सख्ती के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में हल्की नरमी देखने को मिलेगी, साथ ही इस वर्ष अपेक्षित वैश्विक मंदी के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में नरमी आएगी. जिसका असर अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया जा रहा है. यह 6 प्रतिशत की आम राय की वृद्धि दर की तुलना में कम है.
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