(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Budget 2023: शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर देना होगा ज्यादा टैक्स या फिर निवेशकों को मिलेगी राहत?
India Budget 2023: इस बार बजट में LTCG टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद है. हालांकि रिटेल निवेशक चाहते हैं कि स्टॉक्स में निवेश पर LTCG टैक्स लगाने के लिए होल्डिंग पीरियड को बढ़ाया जाए.
Budget 2023: साल 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में उठापटक देखने को मिली. अमेरिका हो या यूरोप या फिर एशियाई देशों का बाजार सभी जगह भारी गिरावट रही. जिसके चलते निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. बड़े बाजारों में एक मात्र भारतीय शेयर बाजार ही ऐसा था जिसने निवेशकों को पॉजिटिव रिटर्न दिया और इसका श्रेय जाता है रिटेल निवेशकों को. भारतीय शेयर बाजार अब रिटेल निवेशकों के दम से चल रहा है. ऐसे में शेयर बाजार की नजर एक फरवरी 2023 को पेश होने वाले आम बजट पर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शेयर बाजार में निवेशक करने वाले रिटेल निवेशकों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली कदम उठाती हैं या फिर निवेशकों को शेयर बाजार से हो रही कमाई पर ज्यादा टैक्स लगाने का फैसला लेती हैं.
क्या कैपिटल गेन टैक्स में मिलेगी राहत!
बाजार के निवेशकों से बात करें तो ज्यादातर शेयर बाजार के मुनाफे पर लगने वाले शार्ट टर्म और कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव देखना चाहते हैं. बाजार के निवेशक चाहते हैं कि शेयर बाजार से होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को घटाकर 10 फीसदी कर देना चाहिए जो अभी 15 फीसदी है. तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के लिए होल्डिंग पीरियड की समय सीमा को एक साल से बढ़ाकर 2 से 3 साल कर दिया जाना चाहिए जैसा कि बाकी एसेट क्लास के लिए है.
मौजूदा समय में निवेशक कोई भी स्टॉक खरीदने के एक साल के भीतर ही उसपर मुनाफा बनाकर बेच देता है तो मुनाफे पर निवेशक को 15 फीसदी शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. लेकिन अगर कोई निवेशक एक साल तक स्टॉक अपने पास रखने के बाद मुनाफा बनाने के बाद उसे बेचता है तो उसे मुनाफे के रकम पर 10 फीसदी के दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है हालांकि एक लाख रुपये सलाना से ज्यादा लाभ पर ये टैक्स लगता है. निवेशकों की मांग है कि शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 से घटाकर 10 फीसदी कर देना चाहिए. तो 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स वसूलने के लिए एक साल के होल्डिंग पीरियड की अवधि को बढ़ाकर 2 या 3 साल कर देना चाहिए. ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा निवेशक शेयर बाजार में निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे. जिसका फायदा भारतीय बाजारों को होगा.
शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों का बढ़ा दम
कोरोना काल के बाद से भारतीय शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी में जबरदस्त इजाफा हुआ है. मार्च 2020 से पहले देश में 4 करोड़ से भी कम डिमैट खाताधारक थे जो अब बढ़कर 11 करोड़ के करीब हो चुका है. बीते एक साल में 3.30 करोड़ लोगों ने डिमैट खाते खोलें हैं. 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कमोडिटी के दामों में तेज उछाल और महंगाई बढ़ने के बाद ब्याज दरों के बढ़ने के बाद विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से करीब 2 लाख रुपये के करीब अपना निवेश निकाल लिया था. इसके चलते भारतीय बाजारों में गिरावट भी आई लेकिन रिटेल निवेशकों ने विदेशी निवेशकों की बिकवाली से होने वाले बड़े गिरावट से बाजार को बचा लिया. नतीजा 2022 में भारतीय शेयर बाजार एतिहासिक रिकॉर्ड लेवल पर जा पहुंचा. ये अलग बात है कि विदेशी निवेशक फिर से भारतीय बाजार का रूख करने लगे है
म्यूचुअल फंड के SIP पर बढ़ता भरोसा
ऐसे निवेशक जो शेयर बाजार में सीधे निवेश नहीं करना चाहते वे म्यूचुअल फंड के रास्ते सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए बाजार में निवेश कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए रिकॉर्ड निवेश किया जा रहा है. लगातार तीन महीने से SIP निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा आ रहा है. मई 2022 के बाद से एसआईपी में निवेश 12,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना रहा है. म्यूचुअल फंड में छोटे निवेशकों के भारी निवेश से शेयर बाजार को सहारा मिला है. लेकिन वित्त मंत्री शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स में इजाफा करती है तो इससे बाजार को बड़ा झटका लग सकता है.
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