मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट एमएसएमई सेक्टर के लिए कई नए ऐलान वाला रहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश करते हुए एमएसएमई सेक्टर के लिए लोन से लेकर फाइनेंस तक घोषणाएं की. इन पहलों को एमएसएमई सेक्टर के लिए मददगार माना जा रहा है. हालांकि उसके साथ ही एक्सपर्ट कुछ गंभीर सवाल भी उठा रहे हैं.
एमएसएमई के लिए बजट में 5 अहम ऐलान
सबसे पहल बजट में की गई घोषणाओं की बात करें तो एमएसएमई सेक्टर के काम की 5 प्रमुख बातें हुईं. वित्त मंत्री ने एमएसएमई और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम की जानकारी दी. यह योजना छोटे उद्यमों को मशीन व उपकरण खरीदने में मदद करने के लिए है. इसके तहत मैन्यु्फैक्चरिंग सेक्टर की एमएसएमई यूनिट को बिना कोलैटरल या थर्ड पार्टी गारंटी के टर्म लोन मिलेगा. दूसरी अहम बात सरकारी बैंकों में एमएसएमई क्रेडिट के लिए नए असेसमेंट मॉडल की व्यवस्था करने वाली रही.
मुद्रा के तहत डबल हुई लोन की लिमिट
इसी तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि नियंत्रण से बाहर के हालात में दिक्कतों में फंसने पर एमएसएमई के लिए क्रेडिट सपोर्ट की नई व्यवस्था आने जा रही है. एमएसएमई के वित्त पोषण पर फोकस्ड सिडबी के नए ब्रांच शुरू करने का ऐलान भी बजट में किया गया. एमएसएमई के लिए बजट में सबसे अहम ऐलान रहा मुद्रा लोन की लिमिट में बढ़ोतरी. सरकार ने पुराने लोन को चुकाने वाले उद्यमियों के लिए मुद्रा लोन की लिमिट को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने का भी ऐलान किया.
कम है मुद्रा के तहत औसत लोन का साइज
इसके बारे में भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की संस्थापक एवं प्रबंध ट्रस्टी लक्ष्मी वेंकटरमन वेंकटेशन कहती हैं कि छोटे व्यवसायों की समस्या थोड़ी अलग है. बजट के ऐलान के बाद अब भले ही ग्रासरूट के उद्यमी बिना किसी कोलेटरल सिक्योरिटी या तीसरे पक्ष की गारंटी के मुद्रा योजना के तहत 20 लाख रुपये तक का लोन पा सकते हैं, लेकिन एक प्रमुख चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में महिलाओं व दलित युवाओं द्वारा चलाए जा रहे असंख्य सूक्ष्म उद्यमों और स्टार्ट-अप्स की मदद करना है, जिन्हें आमतौर पर बैंकों से कम वित्त पोषण मिलता है. मुद्रा के तहत अभी औसत कर्ज 40 हजार रुपये के मिल रहे हैं, जो बिजनेस शुरू करने के लिए अपर्याप्त है. हमारा मानना है कि छोटे पैमाने पर कोई भी व्यवसाय शुरू करने के लिए कर्ज की औसत रकम 4 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए और व्यवसाय को स्थिर करने के लिए कम से कम तीन महीने का समय रहना चाहिए.
सरकार को यहां देना होगा ज्यादा ध्यान
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट देश के विभिन्न हिस्सों में एमएसएमई सेक्टर के साथ मिलकर काम करता है. ट्रस्ट उद्यमिता में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण व वित्त पोषण पाने में मदद करता है. ट्रस्टी वेंकटेशन आगे कहती हैं- बजट 2024-25 में वित्तीय लाभ के साथ उद्यमिता, कौशल विकास और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गई है, जिससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. सरकार को छोटा उद्यम शुरू करने की इच्छा रखने वाले उन लोगों पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है, जो समाज में हाशिए पर स्थित हैं.
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