अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले रियल एस्टेट सेक्टर ने सालों से लंबित अपनी एक मांग फिर से तेज कर दी है. रियल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से मांग करते आ रहा है कि उसे इंडस्ट्री का दर्जा मिले. हालांकि अभी तक इस मांग पर सरकार की ओर से कुछ साफ नहीं किया गया है, लेकिन अगले सप्ताह बजट को देखते हुए रियल एस्टेट सेक्टर की यह पुरानी मांग एक बार फिर से तेज हो गई है.


रियल एस्टेट सेक्टर की सालों पुरानी मांग


रियल एस्टेट सेक्टर की यह मांग नई नहीं है. हर बार बजट के समय रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री स्टेटस की मांग जोर पकड़ती है, लेकिन लगातार सिर्फ निराशा ही हाथ लगती आ रही है. सेक्टर से जुड़े लोगों का मानना है कि इंडस्ट्री स्टेटस मिलने से रियल एस्टेट में निवेश बढ़ेगा और रेगुलेशंस आसान हो जाएंगे. इससे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए तेज ग्रोथ का रास्ता खुलेगा, जो अंतत: ओवरऑल पूरी अथव्यवस्था के लिए मददगार साबित होगा.


इंडस्ट्री स्टेटस मिलने से होते हैं ये फायदे


इंडस्ट्री का स्टेटस मिलने से कई तरह के फायदे होते हैं. सबसे प्रमुख फायदा वित्तपोषण यानी फाइनेंस के मामले में होता है. इंडस्ट्री स्टेटस प्राप्त सेक्टरों को आसानी से बैंकों से लोन के रूप में फाइनेंस मिल जाता है. कई रियल एस्टेट डेवलपरों का मानना है कि सेक्टर को इंडस्ट्री का स्टेटस मिलना 2025 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और हाउसिंग फोर ऑल के लक्ष्य को हासिल करने में भी मददगार साबित होगा.


जीएसटी के तहत इस सुधार की उम्मीद


रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री स्टेटस के अलावा बजट से एक अन्य अहम उम्मीद जीएसटी को लेकर है. रियल एस्टेट डेवलपर जीएसटी के नियमों में बदलाव करने और आईटीसी को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस बदलाव से डेवलपरों के लिए घर बनाना आसान हो जाएगा और घरों की मांग में भी तेजी आएगी. डेवलपरों के अनुसार, जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा दिए जाने से घरों की कीमतें किफायती होंगी. इससे प्रॉपर्टी के दाम कम होंगे, साथ-साथ पारदर्शिता बेहतर होगी.


सिंगल विंडो क्लियरेंस की भी लगी है उम्मीद


रियल एस्टेट सेक्टर की एक अन्य प्रमुख मांग सिंगल विंडो क्लियरेंस को लेकर है. सेक्टर को बजट से जिन सुधारों की अपेक्षा है, उनमें सिंगल विंडो क्लियरेंस भी अहम है. सेक्टर से जुड़े लोगों की राय है कि यह सुधार प्रोजेक्ट के डेवलपमेंट में लगने वाले समय को कम कर देगा, जिससे डेवलपर जल्दी व कम समय में प्रोजेक्ट तैयार कर सकेंगे.


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