तेज आर्थिक तरक्की और नई पीढ़ी की बदलती आकांक्षाओं से शेयर बाजार में निवेशकों का रुझान तेज हुआ है. हालिया सालों में बाजार की ओर खुदरा निवेशकों की चाल तेज हेती गई है. अब बजट से पहले आर्थिक समीक्षा ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि खुदरा निवेशक घरेलू शेयर बजार में बड़ी हैसियत रखने लगे हैं.


आज आने वाला है 2024-25 का पूर्ण बजट


संसद के नए सत्र के पहले दिन सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक समीक्षा 2023-24 पेश की. उसके बाद आज वह संसद में वित वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं. ऐसी परंपरा रही है कि सरकार नए वित्त वर्ष का बजट पेश करने से पहले पुराने वित्त वर्ष की समीक्षा पेश करती है. आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था के विभिन्न छोटे-बड़े संकेतकों के बारे में बताया जाता है.


खुदरा निवेशकों के पास 64 लाख करोड़ के शेयर


आर्थिक समीक्षा के अनुसार, अब घरेलू शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों के पास करीब 64 लाख करोड़ रुपये के शेयर हैं. उनमें सीधे खरीदे गए शेयर और म्यूचुअल फंड के माध्यम से किया गया निवेश दोनों शामिल है. समीक्षा के अनुसार, खुदरा निवेशकों के पास करीब 36 लाख करोड़ रुपये के ऐसे शेयर हैं, जिन्हें उन्होंने सीधे खरीदा है. वहीं उनके पास म्यूचुअल फंड के जरिए खरीदे गए 28 लाख करोड़ रुपये के शेयर भी हैं.


2500 कंपनियों में खुदरा निवेशकों का निवेश


बाजार में खुदरा निवेशकों का स्वामित्व बढ़ने के साथ-साथ उनकी संख्या भी बढ़ी है. समीक्षा बताती है कि वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक घरेलू शेयर बाजार में मौजूद सक्रिय खुदरा निवेशकों की संख्या 9.5 करोड़ के पार निकल गई थी. उन्होंने बाजार पर लिस्टेड लगभग 25 सौ कंपनियों में पैसे लगाया हुआ है. इस तरह खुदरा निवेशकों के पास बाजार में लगभग 10 फीसदी डाइरेक्ट हिस्सेदारी है.


टर्नओवर में 35 फीसदी से ज्यादा हिस्सा


आर्थिक समीक्षा बताती है कि बीते कुछ सालों में खुदरा निवेशकों ने डाइरेक्ट और इनडाइरेक्ट दोनों तरह से बाजार में अपना एक्सपोजर बढ़ाया है. वित्त वर्ष 2023-24 में इक्विटी कैश सेगमेंट के टर्नओवर में खुदरा निवेशकों का शेयर 35.9 फीसदी था. वहीं पिछले वित्त वर्ष के दौरान डीमैट अकाउंट की संख्या साल भर पहले के 11.45 करोड़ से बढ़कर 15.14 करोड़ पर पहुंच गई.


आर्थिक समीक्षा ने बताया ये कारण जिम्मेदार


आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने माना है कि शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ी भागीदारी अच्छी बात है. इससे कैपिटल मार्केट को स्थिरता मिलती है. इस निवेश से खुदरा निवेशकों को अपनी बचत पर अधिक रिटर्न कमाने की भी सुविधा मिलती है. समीक्षा के अनुसार, महामारी के बाद जिन कारणों से बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है, उनमें- तकनीकी प्रगति, वित्तीय समावेश के प्रति सरकार के उपाय, डिजिटल इंफ्रा की ग्रोथ, स्मार्टफोन की बढ़ी संख्या, डिस्काउंट ब्रोकर आदि प्रमुख हैं.


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