वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह नया बजट पेश करने वाली हैं. बजट शेयर बाजार के निवेशकों के लिए खुशखबरी लेकर आ सकता है. ऐसे कयास लग रहे हैं कि बजट में कैपिटल गेन टैक्स पर राहत देने के कुछ उपाय किए जा सकते हैं.


खबरों के अनुसार, कैपिटल गेन टैक्स के मामले में एसेट की कैटेगरी और उसे होल्ड करने की अवधि के हिसाब से इन्वेस्टर्स को काफी कंफ्यूजन रहता है. सरकार निवेशकों की इस परेशानी को समझ रही है और इसे दूर करने का उपाय आगामी बजट में किया जा सकता है. अगर सरकार कैपिटल गेन टैक्स को सरल बनाने और राहत देने पर विचार करती है, तो उससे शेयरों के निवेशकों समेत विभिन्न एसेट के निवेशकों को फायदा हो सकता है.


बजट में मिल सकता है ये फायदा


साल 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 लाख रुपये से अधिक के फायदे पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाया था और इंडेक्सेशन के फायदे को समाप्त कर दिया था. एनालिस्ट उम्मीद कर रहे हैं कि बजट में फिर से इंडेक्सेशन के फायदे को पेश किया जा सकता है. उसके अलावा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने की लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की भी मांग उठ रही है. यह शेयर बाजार के निवेशकों, खास तौर पर म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वालों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.


शेयरों पर कैपिटल गेन टैक्स के मौजूदा नियम


मौजूदा नियमों के हिसाब से एक साल से कम अवधि के लिए किसी लिस्टेड शेयर को होल्ड करने पर 15 फीसदी की दर से कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है. इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं. इसका मतलब हुआ कि अगर किसी लिस्टेड शेयर को निवेशक खरीदने के साल भर के भीतर बेच देता है तो उसमें हुए मुनाफे पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनेगी. वहीं अवधि साल भर से ज्यादा होने और लाभ 1 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनेगी.


एसेट क्लास के हिसाब से बदलती है कैटेगरी


टैक्सपेयर्स को कई तरह एसेट क्लास में निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है. अगर आप सीधे शेयरों में निवेश करते हैं, तब तो कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती ही है. उसके अलावा म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटी या डेट में निवेश पर भी कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है. वहीं गोल्ड-सिल्वर और प्रॉपर्टी जैसे एसेट क्लास पर भी कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. हालांकि कैपिटल गेन टैक्स की कौन सी कैटेगरी लागू होगी, उसकी अवधि और लिमिट एसेट क्लास के हिसाब से अलग हो जाती है.


ये भी पढ़ें: अब रेमण्ड ने भी शुरू की आईपीओ की तैयारियां, कंपनी ने उठाए ये बड़े कदम