वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दो दिन बाद मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि इसमें मोदी सरकार 2047 तक देश को विकसित बनाने का रोडमैप सामने रख सकती है. भारत को विकसित देश बनाने में शिक्षा क्षेत्र की भूमिका सबसे अहम रहने वाली है. यही कारण है कि शिक्षा क्षेत्र को इस बजट का बेसब्री से इंतजार है.
शिक्षा क्षेत्र को आवंटन डबल करने की मांग
इस साल लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था. पिछले महीने नई सरकार का गठन होने के बाद अब अगले सप्ताह वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट आने वाला है. इस पूर्ण बजट से शिक्षा क्षेत्र को कई उम्मीदें लगी हैं. जैसे- शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग चाहते हैं कि सरकार इस मामले में निवेश और खर्च को बढ़ाए. अभी बजट में शिक्षा क्षेत्र को जो लगभग 3 फीसदी का आवंटन मिल रहा है, उसे बढ़ाकर कम से कम 6 फीसदी कम किया जाए. उसके साथ ही सरकार उच्च शिक्षा, हर किसी को समान अवसर, युवाओं के कौशल विकास पर फोकस करे.
पारंपरिक सूक्ष्म उद्योगों पर ध्यान दे सरकार
आईआईएम संबलपुर के निदेशक महादेव जायसवाल आसन्न बजट को लेकर कहते हैं कि सरकार को अपनी प्राथमिकताएं उद्योग जगत की बदलती जरूरतों के हिसाब से तय करनी चाहिए. सरकार ने अंतरिम बजट में उच्च शिक्षा के लिए आवंटन को बढ़ाकर 47,619.77 करोड़ रुपये किया था. उससे पता चलता है कि सरकार अकादमिक बुनियादी संरचना को मजबूत बनाना चाहती है. हमें बजट में हालिया UDISE+ और नेशनल अचीवमेंट सर्वे डेटा पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि हम हमारी शैक्षणिक व्यवस्था खासकर ओडिशा जैसे राज्यों की चुनौतियों के बारे में जान सकें. सरकार को बजट में हैंडलूम, हैंडिक्राफ्ट और टेक एग्रीकल्चर जैसे पारंपरिक सूक्ष्म उद्योगों पर भी ध्यान देना चाहिए.
इन उपायों से मजबूत होगी देश की अर्थव्यवस्था
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (BIMTECH) ग्रेटर नोएडा की निदेशक प्रबीना राजीब महिलाओं और युवाओं के कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान देने की पैरवी करती हैं. वह कहती हैं- पिछले केंद्रीय बजट 2023 में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए लगभग 44 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो 2022 के बजट की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा था. सरकार ने अंतरिम बजट 2024 में महिलाओं को सक्षम बनाने पर ध्यान केंद्रित किया था और कई युवा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी थी. एनईपी का लक्ष्य उसी सिद्धांत पर चलते हुए 2040 तक सभी संस्थानों में विभिन्न विषयों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने का है. सरकार को इस पूर्ण बजट में वर्तमान शैक्षिक रुझानों पर ध्यान देना चाहिए और कौशल विकास (अपस्किलिंग और रीस्किलिंग) से उद्योग की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. ये उपाय न सिर्फ शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करेंगे, बल्कि देश को भी आर्थिक मजबूती प्रदान करेंगे.
विकसित भारत के लिए सबसे जरूरी ये काम
बिहार के सासाराम स्थित गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी (GNSU) के सेक्रेटरी गोविंद नारायण सिंह कहते हैं- पिछले साल बजट में उच्च शिक्षा के लिए आवंटन बढ़ाया गया था. सरकार ने उच्च शिक्षा को बजट में 44,095 करोड़ रुपये दिया था. इसे और बढ़ाए जाने की जरूरत है. खासकर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि सरकार बजट में इस बात पर ध्यान देगी कि हर युवा को उच्च शिक्षा के समान अवसर मिल सकें, ताकि देश के पास विकसित बनने के लिए सबसे जरूरी व अहम मानव संसाधन उपलब्ध हो सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मानव संसाधन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना सबसे जरूरी है.
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