प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही है. खासकर रक्षा मामलों में सरकार घरेलू स्तर पर अपनी जरूरतों को बनाने पर खासा जोर दे रही है. मोदी सरकार के अब तक के बजटों में भी डिफेंस सेक्टर को तरजीह दिया जाता रहा है. अब जबकि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आने में गिने-चुने दिन बचे हुए हैं, एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने आत्मनिर्भरता के प्रयासों को लेकर गंभीर सवाल खड़े किया है.


एयर फोर्स के वाइस चीफ ने उठाई आवाज


भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह देश की सुरक्षा की कीमत पर ठीक नहीं है. वह शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित एयर फोर्स ऑडिटोरियम में एयर एंड मिसाइल डिफेंस इंडिया 2024 सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने उस दौरान कहा कि देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है और उसकी कीमत पर आत्मनिर्भरता ठीक नहीं है.


लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही एयर फोर्स


वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी की यह टिप्पणी स्वदेशी परियोजनाओं की देरी को लेकर थी. उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है. स्वदेशी तेजस फाइटर जेट की डिलीवरी शेड्यूल से लेट चल रही है. उन्होंने कहा कि समय के साथ सैन्य बलों की जरूरतें बदल रही हैं. अगर भारतीय वायु सेना या अन्य सैन्य बलों को आत्मनिर्भरता की राह पर लेकर जाना चाहते हैं तो उसके लिए डीआरडीओ से लेकर सभी सरकारी डिफेंस कंपनियों और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर काम करना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि हम दूसरे रास्ते पर जाने के लिए मजबूर न हों.


सरकारी कंपनियों को मिले हैं मोटे ऑर्डर


आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए भारतीय वायु सेना ने सरकारी डिफेंस कंपनियों को भारी-भरकम ऑर्डर दिए हैं. वायु सेना ने तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के लिए ही हजारों करोड़ों का ऑर्डर दिया है. भारतीय वायु सेना 48 हजार करोड़ रुपये की एक डील के तहत 83 तेजस मार्क-1ए विमान खरीदने वाली है. यह ऑर्डर फरवरी 2021 में दिया गया था, लेकिन तेजस जेट बनाने वाली सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स अभी तक एक भी यूनिट की डिलीवरी नहीं कर पाई है.


वायु सेना के पास जरूरत से इतने कम विमान


भारतीय वायु सेना को अभी बड़ी संख्या में फाइटर जेट की जरूरत है. चीन और पाकिस्तान से दो मोर्चे पर मौजूद खतरे को देखते हुए भारतीय वायु सेना को कम से कम 42 स्क्वैड्रन फाइटर जेट की जरूरत है, लेकिन उसके पास सिर्फ 31 स्क्वैड्रन हैं. उनमें से अगले एक साल में मिग-21 विमानों के 2 स्क्वैड्रन रिटायर होने वाले हैं. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ऑर्डर मिलने के साढ़े तीन साल बाद भी डिलीवरी शुरू नहीं कर पाई है. ऐसे में सैन्य अधिकारियों की चिंता लाजिमी हो जाती है कि कहीं आत्मनिर्भरता की सवारी करने के चक्कर में देश को सुरक्षित बनाने के प्रमुख उद्देश्य के साथ ही समझौता न हो जाए.


मार्च 2025 तक देने हैं 18 तेजस विमान


एयर फोर्स के वाइस चीफ की इस टिप्पणी से दो महीने पहले ही रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स से जवाब तलब किया था. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को मार्च 2025 तक 18 तेजस मार्क-1ए विमानों की आपूर्ति करनी है. अब इस डेडलाइन में बमुश्किल 8 महीने रह गए हैं और अभी तक 1 भी विमान की आपूर्ति नहीं हो पाई है. भारतीय वायु सेना पहले से तेजस मार्क-1 विमानों का इस्तेमाल कर रही है. मार्क-1ए उसका एडवांस्ड वर्जन है.


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