Budget 2024: बजट के बाद महंगी होंगी दवाएं? हेल्थकेयर सेक्टर को मोदी सरकार से ये उम्मीदें
Union Budget 2024: इस वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही कई जरूरी दवाओं के दाम में बदलाव हो चुके हैं. आइए जानते हैं दवाओं के दाम पर आगामी बजट के ऐलानों का क्या असर हो सकता है...
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वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट का इंतजार छोटा होता जा रहा है. लगभग 10-11 दिनों के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नया बजट पेश करने जा रही हैं, जो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा. इस बजट से हेल्थकेयर सेक्टर को बड़ी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं यह बजट हेल्थकेयर सेक्टर को किस तरह से प्रभावित करने वाला है...
सरकार ने दिया है इस बात का भरोसा
बजट को लेकर हेल्थकेयर सेक्टर में सबसे ज्यादा कयास दवाओं के दाम के बारे में हैं. यह एक ऐसा मुद्दा है, जो हेल्थकेयर सेक्टर के साथ ही आम लोगों की जेब को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है. चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने अप्रैल में भरोसा दिलाया था कि इस वित्त वर्ष में जरूरी दवाओं के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. उन्होंने इसका कारण थोक कीमतों पर आधारित महंगाई में लगभग नगण्य वृद्धि बताया था.
इस वित्त वर्ष की शुरुआत में हुए ये बदलाव
इससे पहले चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से कुछ दवाओं के दाम बढ़ चुके हैं. नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने दवाओं के दाम में बदलाव का ऐलान किया था, जो 1 अप्रैल से प्रभावी हो गए हैं. बदलाव के बाद डाइक्लोफेनेक, आइबुप्रोफेन, मेफानेमिक एसिड, पैरासिटामोल और मॉर्फिन जैसे पेनकिलर, एमिकासिन, बेडाकिलिन और क्लेरिथ्रोमाइसिन जैसी टीबी की दवाएं व क्लोबाजाम, डायजेपाम और लोराजेपाम जैसी एंटी-कॉन्वुलसेंट दवाएं महंगी हुई हैं. वहीं दूसरी ओर डायबिटीज, हायपरटेंशन, हर्ट डिजीज, बैक्टीरियल इंफेक्शन और एलर्जी की दवाओं के दाम कम हुए हैं.
दाम नियंत्रित रखने पर फोकस की उम्मीद
हालांकि अभी के हालात बताते हैं कि कुछ जरूरी दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं. एनालिस्ट को आशंका है कि आयातित एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) पर बेस्ड दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं. वहीं हाल ही में डेवलप किए गए और पेटेंट कराए गए दवाओं के दाम भी महंगे हो सकते हैं. लेकिन उन्हें इस बात की भी उम्मीद है कि सरकार आम लोगों के लिए विभिन्न बीमारियों के इलाज को किफायती बनाने के लिए दवाओं के दाम नियंत्रित रखने पर फोकस बढ़ा सकती है.
लोक-लुभावन ऐलान से बचने की जरूरत
फोर्टिस हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डाइरेक्टर एवं न्यूरोलॉजी के प्रमुख डॉ प्रवीण गुप्ता बताते हैं- हेल्थकेयर सेक्टर देश की बेहतरी और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. इस कारण हेल्थकेयर सेक्टर की फंडिंग पर हमारा ध्यान बना रहना चाहिए, ताकि देश के सभी लोगों को एक समान रूप से उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती रहें. सरकार को पॉपुलिस्ट उपायों से बचने का प्रयास करना होगा. ये उपाय शॉर्ट टर्म में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में उनका नकारात्मक असर होता है. सरकार इस बजट में तात्कालिक जरूरतों और आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों के बीच संतुलन बना सकती है.
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