Union Budget 2024: डायरेक्ट टैक्स में कॉरपोरेट के मुकाबले सैलरीड टैक्सपेयर्स का ज्यादा हिस्सा, टैक्स घटाकर सरकारी खजाने को कैसे संभालेगी सरकार
Budget 2024: संसद के सत्र की शुरुआत आज से हो रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक दिन बाद नया बजट पेश करने वाली हैं. यह बजट मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट और वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट होगा. ऐसा माना जा रहा है कि इस बजट में मोदी सरकार देश को 2047 तक विकसित बनाने का रोडमैप पेश कर सकती है. इस बीच बजट से ऐन पहले फिर से सैलरीड क्लास के टैक्सपेयर्स का मामला सतह पर आ गया है.
पहले ही सैलरी से कट जाता है टैक्स
एनालिस्ट लंबे समय से ये तर्क देते आए हैं कि भारत में सबसे ज्यादा शोषण सैलरीड क्लास के टैक्सपेयर्स का होता है. इसके पक्ष में कहा जाता है कि साधारण नौकरी करने वाले कर्मचारी की सैलरी से इनकम टैक्स पहले ही कट जाता है, जबकि मोटी कमाई करने वाले बिजनेस मैन या किसान टैक्स की देनदारी से बच जाते हैं. यही कारण है कि सालों से सैलरीड क्लास के टैक्सपेयर्स को टैक्स व्यवस्था में राहत देने की मांगें उठती आई हैं और इस साल बजट से पहले भी ये मांगें तेज हो चुकी हैं.
प्रत्यक्ष कर से सरकार की कमाई
सैलरीड क्लास सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला टैक्सपेयर क्लास है. सरकार की कमाई के सबसे प्रमुख जरियों में एक है प्रत्यक्ष कर का संग्रह. प्रत्यक्ष कर में सरकार को इंडिविजुअल इनकम टैक्स और कॉरपोरेट इनकम टैक्स से कमाई होती है. इस महीने की शुरुआत में आए आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक प्रत्यक्ष कर का शुद्ध संग्रह यानी नेट डाइरेक्ट टैक्स कलेक्शन 24.07 फीसदी बढ़कर 5.74 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यह आंकड़ा 11 जुलाई 2024 तक का है.
प्रत्यक्ष कर संग्रह में पर्सनल इनकम टैक्स का योगदान
प्रत्यक्ष कर से होने वाली कमाई में योगदान का समीकरण हालिया सालों में तेजी से बदला है. भारत में ऐतिहासिक रूप से प्रत्यक्ष कर संग्रह में पर्सनल इनकम टैक्स पर कॉरपोरेट टैक्स भारी रहता आया है, लेकिन अब यह तस्वीर बदल गई है. 2019 में कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने और सैलरीड क्लास के टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ने से अब इंडिविजुअल इनकम टैक्स का योगदान काफी आगे निकल गया है. आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में कॉरपोरेट टैक्स ने 2.1 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया है. वहीं पर्सनल इनकम टैक्स का योगदान कुल संग्रह में 3.46 लाख करोड़ रुपये का रहा है.
15 लाख की कार के लिए 21.42 लाख कमाने की जरूरत
टाइम्स ऑफ इंडिया का एक वायरल आर्टिकल भी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स खासकर सैलरीड क्लास के शोषण की कहानी बता रहा है. 4 साल पुराने यानी 2020 में प्रकाशित आर्टिकल में समझाने के लिए उदाहरण दिया गया है कि एक सैलरीड टैक्सपेयर को कार खरीदने के लिए कितना कमाने की जरूरत पड़ती है. आर्टिकल के अनुसार, अगर एक सैलरीड टैक्सपेयर 15 लाख रुपये की कार खरीदना चाहता है, तो उसे उसके लिए 21.42 लाख रुपये कमाने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि 6.42 लाख रुपये इनकम टैक्स में चले जाते हैं. इसी तरह कार को एक लाख किलोमीटर चलाने के लिए जरूरी 7.55 लाख रुपये के ईंधन खर्च की भरपाई के लिए 10.78 लाख रुपये कमाने की जरूरत होती है.
कार कंपनियों से भी ज्यादा मुनाफा कमाती है सरकार
कुल मिलाकर देखें तो अबर कोई सैलरीड व्यक्ति 15 लाख रुपये की कार खरीदता है और उसे 1 लाख किलोमीटर चलाता है तो उसके लिए टैक्सपेयर को टोटल 32.20 लाख रुपये कमाने की जरूरत पड़ती है. मजेदार है कि विभिन्न टैक्स के माध्यम से उनमें से 18.78 लाख रुपये सरकार के खजाने में चले जाते हैं. मतलब कार भले ही कंपनी बनाए और टैक्स्पेयर चलाए, कमाई सबसे ज्यादा सरकार को होती है. साल 2020 की तुलना में अभी ईंधन की कीमतों या टैक्स की दरों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आया है.
कल आएगा मोदी3.0 का पहला बजट
संसद का नया सत्र 22 जुलाई यानी आज सोमवार से शुरू हो रहा है. सत्र के दूसरे दिन यानी 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं. उससे पहले आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की जाएगी. मंगलवार को बजट पेश होते ही साफ हो जाएगा कि सरकार सबसे ज्यादा कमाई कराने वाले सैलरीड क्लास के टैक्सपेयर्स को कुछ राहत देती है या उनका दोहन करने का ट्रेंड आगे भी बरकरार रहने वाला है.
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