Union Budget 2024: मोदी 3.0 के पहले बजट में टैक्सपेयर्स को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी सौगात दी है. नए टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करने का फैसला लिया गया है. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है. नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव कर दिया गया है. नए टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक के इनकम पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा. 3 - 7 लाख रुपये तक के आय के स्लैब पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा. 7 लाख से 10 लाख रुपये तक के आय पर 10 फीसदी इनकम टैक्स लगेगा. जबकि 10 लाख से 12 लाख रुपये तक के आय वाले स्लैब पर 15 फीसदी टैक्स लगेगा और 12 लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक के आय पर 20 फीसदी, 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. इनकम टैक्स एक्ट 1961 की समीक्षा की जाएगी जिससे इसे सरल बनाया जा सके और टैक्स कानूनी मामलों में कमी लाई जा सके.  




नई इनकम टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब 


नए इनकम टैक्स रिजीम पर नजर डालें तो नए टैक्स रिजिम में 7 लाख रुपये तक जिनकी आय है उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होता है. सरकार इनकम टैक्स एक्ट 87ए में 25,000 रुपये का टैक्स रिबेट देती है. नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. 3 - 6 लाख रुपये के इनकम पर 5 फीसदी,  6 - 9 लाख रुपये तक के स्लैब पर 10 फीसदी, 9 - 12 लाख रुपये तक के स्लैब पर 15 फीसदी, 12 - 15 लाख रुपये तक के स्लैब पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होता है.


पुराने इनकम टैक्स रिजीम का टैक्स स्लैब 


पुराने इकम टैक्स रिजीम के टैक्स स्लैब पर नजर डालें तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में 2.50 लाख रुपये तक के इनकम पर टैक्स छूट है. 2.50 से 5 लाख रुपये तक के आय पर 5 फीसदी, 5 - 10 लाख रुपये तक के इनकम पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज्यादा के आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है. पुरानी टैक्स व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक जिनकी आय है उन्हें कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है. 2.50 से 5 लाख रुपये तक के इनकम पर 5 फीसदी के दर से जो 12500 रुपये का जो टैक्स बनता है सरकार उसपर रिबेट देती है. 




पुराने टैक्स रिजीम में बदलाव नहीं


वित्त मंत्री ने नए टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाई ही है साथ में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया है लेकिन पुराने टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वाले टैक्सपेयर्स को बजट से निराशा हाथ लगी है. उन्हें कोई राहत नहीं दी गई है.