Union Budget 2024: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश हो गया है. क्या आप जानते हैं सरकार जो बजट में आधारभूत ढांचे की मजबूती से लेकर कल्याणकारी योजनाओं के लिए जो पैसा का आवंटन करती है वो आखिरकार आता कहां से है? आप ये जानकर हैरान हो जायेंगे कि सरकार जो एक रुपये जुटाती है उसमें सबसे ज्यादा पैसे उधार के जरिए आता है जो सरकार बाजार से जुटाती है. दूसरे स्थान पर इनकम टैक्स है जो कि कॉरपोरेट टैक्स से भी ज्यादा है.
कहां से सरकार जुटाएगी पैसे!
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया है. मौजूदा वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार जो पैसे खर्च करेगी आखिरकार वो आएगा कहां से? मौजूदा वर्ष में सरकार एक रुपये खर्च करने के लिए उस एक रुपये में से 27 पैसे उधार लेकर जुटाएगी. 19 पैसे इनकम टैक्स कलेक्शन के जरिए आएगा. 18 पैसे सरकार जीएसटी और दूसरे टैक्सों के जरिए जुटाएगी. 17 पैसे कॉरपोरेशन टैक्स के जरिए आएगा. 9 पैसे नॉन-टैक्स रिसीट, 5 पैसे सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, 4 पैसे कस्टम ड्यूटी, और 1 पैसे नॉन-डेट कैपिटल रिसीट के जरिए जुटाया जाएगा.
कहां सरकार करेगी खर्च
नागरिकों के मन में ये सवाल उठता रहता है कि आखिरकार सरकार टैक्स और दूसरे रास्तों के जरिए जो पैसे जुटाती है उसे खर्च कहां करती हैं. तो आपको बता दें सरकार को जो एक रुपये प्राप्त होता है उसमें से 21 पैसे सरकार राज्यों को उनके टैक्सों और ड्यूटी में हिस्सेदारी के तौर पर देती है. इसके बाद सरकार सबसे ज्यादा खर्च लिए गए उधार पर ब्याज के भुगतान पर खर्च करती है. इस वर्ष सरकार एक रुपये में 19 पैसे ब्याज के भुगतान पर खर्च करेगी. 16 पैसे सरकार सेंट्रल सेक्टर स्कीम यानि अपनी योजनाओं पर खर्च करती है जिसमें डिफेंस और सब्सिडी खर्च शामिल नहीं है. 8 पैसे सरकार डिफेंस पर, 8 पैसे सेंट्रल स्पांसर्ड स्कीम्स, 9 पैसे फाइनेंस कमीशन और दूसरे ट्रांसफर्स पर, 6 पैसे सब्सिडी, 4 पैसे पेंशन और 9 पैसे अन्य प्रकार के खर्चों पर सरकार व्यय करती है.
14.01 लाख करोड़ रुपये सरकार लेगी उधार
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार के अपने राजस्व का बड़ा भाग कर्ज के ब्याज के भुगतान में खर्च करना पड़ता है. मौजूदा वर्ष में सरकार कुल 48.21 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है जिसमें से 25.83 लाख करोड़ रुपये टैक्स के जरिए जुटाया जाएगा. 14.01 लाख करोड़ रुपये सरकार उधार लेगी जिससे खर्च आय राजस्व के हीच की खाई को पाटा जा सके.
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