बजट से जुड़े रोचक तथ्य, यहां जानिए भारतीय बजट के इतिहास से जुड़ी बड़ी बातें
Union Budget 2025 Interesting Facts: बजट 2025 के पेश होने से पहले यहां जानिए भारतीय बजट के इतिहास से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाएं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे.
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भारतीय बजट का इतिहास वर्षों पुराना है और यह समय के साथ कई बड़े परिवर्तनों और घटनाओं का गवाह रहा है. हर साल बजट पेश करने की प्रक्रिया ने न केवल आर्थिक नीतियों को आकार दिया है, बल्कि यह देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को भी प्रभावित करता है. आइए, जानते हैं भारतीय बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और ऐतिहासिक घटनाएं.
भारत का पहला बजट
भारत का पहला बजट 18 फरवरी 1860 को जेम्स विल्सन द्वारा पेश किया गया था. यह बजट ब्रिटिश वायसराय की परिषद में पेश किया गया था और इसका उद्देश्य भारत की वित्तीय स्थिति का आकलन करना था. इस बजट में कई नई कर नीतियों की शुरुआत की गई थीं.
स्वतंत्र भारत का पहला बजट
स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आर के शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था. यह बजट स्वतंत्रता के बाद देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था. इसमें किसी नए कर की घोषणा नहीं की गई, बल्कि केवल मौजूदा आर्थिक स्थिति का आकलन किया गया था.
बजट भाषण का समय
1924 से 1999 तक, भारतीय बजट हर साल फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था. यह प्रथा सर बेसिल ब्लैकैट द्वारा शुरू की गई थी, ताकि वित्तीय लेखा-जोखा तैयार करने वाले अधिकारियों को आराम मिल सके. हालांकि, 2000 में यशवंत सिन्हा ने इसे सुबह 11 बजे पेश करने की प्रथा शुरू की.
महिलाओं की भागीदारी
इंदिरा गांधी 1970 में वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश करने वाली पहली महिला बनीं. इसके बाद, निर्मला सीतारमण ने 2019 में वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश किया और वह इस पद पर रहने वाली दूसरी महिला हैं.
सबसे लंबे और छोटे बजट भाषण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड बनाया, जो 2 घंटे 42 मिनट लंबा था. वहीं, हीरुभाई पटेल ने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला सबसे छोटा बजट भाषण दिया था.
बजट पेश करने वाले प्रधानमंत्री
अब तक तीन प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू (1958), इंदिरा गांधी (1970) और राजीव गांधी (1987) ने केंद्रीय बजट पेश किया है. यह दिखाता है कि कैसे देश के शीर्ष नेता भी आर्थिक नीतियों के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं.
ब्लैक बजट
1973-74 का बजट "ब्लैक बजट" कहलाया, क्योंकि इसमें सरकार का कुल व्यय कुल आय से अधिक था.
बजट तैयार करने की रस्में
बजट छपने से पहले वित्त मंत्रालय में "हलवा" खाने की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म के दौरान और बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारी किसी भी बाहरी संपर्क से दूर रहते हैं और केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
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