नई दिल्लीः सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स और राज्यों को कई दिनों से शिकायतें मिल रही थीं कि बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स उन लोगों से 1 जुलाई के पहले पूरा पेमेंट करने को कह रहे थे जिन्होंनें फ्लैट बुक कराए हुए हैं. उन्हें कहा जा रहा है कि ऐसा न करने पर उन्हें 1 जुलाई से जीएसटी आने के बाद ज्यादा ऊंचे टैक्स का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें कि जीएसटी के तहत अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स, कॉम्पलेक्स वगैरह पर 12 फीसदी की दर से टैक्स प्रस्तावित है. आज सीबीईसी ने साफ कर दिया है कि ये पूरी तरह नियमों के खिलाफ है. इसके बारे में ये 7 आदेश जारी किए गए हैं.


1. जीएसटी आने के बाद अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स, कॉम्पलेक्स, बिल्डिंग्स के ऊपर अभी लग रहे राज्यों और केंद्र की तरफ से लग रहे टैक्सेज घट जाएंगे. लिहाजा बिल्डर जीएसटी के नाम पर ज्यादा टैक्स या पूरा पैसा नहीं मांग सकते हैं.


2. ज्यादातर कंस्ट्रक्शन मैटिरियल पर सेंट्रल एक्साइड ड्यूटी 12.5 फीसदी है और ये सीमेंट पर कुछ ज्यादा है. ज्यादातर राज्यों में 12.5 फीसदी टैक्स के साथ 14.5 फीसदी वैट भी लगता है. वहीं इस पर स्टेट की तरफ से लगने वाले एंट्री टैक्स भी लगते हैं. इन सब टैक्सेज को देखते हुए ही सरकार ने जीएसटी के तहत 12 फीसदी की टैक्स दर लगाकर ग्राहकों और बिल्डर्स को राहत देने की कोशिश की है. लेकिन इसके नाम पर अगर बेजा वसूली की जाने की कोशिश हो रही है तो इस पर जुर्माना देना होगा.


3. सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, वैट, एंट्री टैक्स वगैरह अभी बिल्डर्स को देने होते हैं जिसे अभी वो चार्ज बढ़ाकर ग्राहकों पर डाल देते हैं. अभी ग्राहकों को वो अलग से पता नहीं लग पाता है क्योंकि वो इसे फ्लैट की कीमत में जोड़कर बताते हैं.


4. फिलहाल ऑफिस, फ्लैट, रेसीडेंस वगैरह पर सर्विस टैक्स की दर 4.5 फीसदी है और इस पर 1 फीसदी की दर से वैट लगता है. फिलहाल खरीदार सिर्फ 5.5 फीसदी का टैक्स देखता है. जबकि दूसरे राज्यों, शहरों में वैट 2 फीसदी की दर होने की वजह से ग्राहक के लिए ये कुल टैक्स 6.5 फीसदी से ज्यादा हो जाता है. इसका ज्यादातर शहरों में ग्राहकों को पता नहीं होता है और इसे वो फ्लैट की कीमत में जुड़ी होने की वजह से बिना किसी पूछताछ के अदा कर देते हैं.


5. जीएसटी आने के बाद ये सब उसी टैक्स के अंतर्गत आ जाएगा और एक फ्लैट का पूरा इनपुट क्रेडिट इस अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर लगने वाले 12 फीसदी टैक्स के अंदर आ जाएगा. इसी के बाद फ्लैट की कीमत में अलग से इन टैक्सेज को जोड़कर नहीं दिखाया जाना चाहिए.


6. जीएसटी में अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर लगाए गए 12 फीसदी टैक्स के बाद बिल्डर्स को जो फायदा मिल रहा है, उनसे अपेक्षा की जाती है कि वो इसका पूरा फायदा ग्राहकों को देंगे. इसे घटे हुई कीमतों, किश्तों के तौर पर दिया जा सकता है. इसीलिए बिल्डर्स/कंस्ट्रक्शन कंपनियों को ये निर्देश दिया जा रहा है कि वो ग्राहकों से जीएसटी आने के नाम पर एक्स्ट्रा किसी भी तरह के टैक्स या फुल पेमेंट की मांग नहीं कर सकते हैं. वो पूरा पेमेंट करने या जीएसटी के बाद ज्यादा ऊंचा टैक्स देने की मांग करते हैं तो ये पूरी तरह गलत होगा.


7. कानून में इस तरह की स्पष्टता दिए जाने के बावजूद अगर कोई भी भी बिल्डर या डीलर/कंपनी इस तरह की मांग करता पाया गया तो उसके खिलाफ जीएसटी कानून के सेक्शन 171 के तहत कार्रवाई हो सकती है.


दरअसल आपको बता दें कि जीएसटी में रियल इस्टेट सेक्टर को बूस्ट देने के लिए अंडर कंस्ट्रकशन प्रॉपर्टी पर 12% टैक्स की सिफारिश की गई है. सरकार की मंशा अफोर्डेबल हाउसिंग को बूस्ट देना है, जिसके कारण ये फैसला लिया गया है. हालांकि जो लग्जरी सेगमेंट में घर खरीदना चाहते हैं ऐसे लोगों को 28% टैक्स देना होगा. जीएसटी के लागू हो जाने के बाद केवल एक टैक्स लगेगा और हाउसिंग सेक्टर में फिलहाल लग रहे अन्य टैक्स जैसे कि वैट, सर्विस टैक्स, सेंट्रल और स्टेट टैक्स नहीं लगेंगे. जीएसटी काउंसिल ने लोगों को राहत देते हुए ये फैसला लिया है कि 1 जुलाई से GST लागू होने से घर खरीदना सस्ता और आसान हो जाएगा.


रियल इस्टेट एक्सपर्ट्स के मुताबिक लोगों को इसका मुनफा तब ही मिला सकेगा जब बिल्डर्स इसे बायर्स को देंगे. यदि बिल्डर्स इसका मुनाफा बायर्स को नहीं देते हैं तो फिर इस टैक्स दर का कोई मुनाफा बायर्स को नहीं मिलेगा.


इस बारे में पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट पर पूरा नोटिफिकेशन दिया गया है जिसे आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं