बिजनेस संगठनों ने वेज कोड को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. फिक्की, सीआईआई और होटल एसोसिएशन ने सरकार से कहा है कि वह नए कोड के उस प्रावधान में संशोधन करे, जिसमें कर्मचारियों के भत्ते को 50 फीसदी तक सीमित कर दिया गया है. इन संगठनों का कहना है कि वेतन में भत्ते को 50 फीसदी तक सीमित कर देने से नियोजकों की लागत बढ़ जाएगी और इससे कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी में भी गिरावट आएगी.
भत्ते को 50 फीसदी तक सीमित करने के नियम पर ऐतराज
इन संगठनों ने कहा है कि सरकार को भत्ते को 50 फीसदी तक सीमित कर देने का नियम बदलना चाहिए. दरअसल भत्ते को 50 फीसदी तक सीमित कर देने से नियोजकों को बेसिक सैलरी और डीए ज्यादा देना होगा. अभी नियोजक बेसिक और डीए (महंगाई) का हिस्सा काफी कम रखते हैं. इससे पीएफ में किया जाने वाला उनका योगदान कम हो जाता है. यह कंपनियों के लिए फायदेमंद है. साथ ही वेतन में ज्यादा हिस्सा भत्ते का रखने पर उसमें कटौती भी संभव है.कंपनियों का कहना है इससे उन पर काफी बोझ पड़ जाएगा. उनके लिए यह कोरोना की वजह से संकट का दौर है और वे अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहे हैं. ऐसे में उन पर दबाव बढ़ेगा.
पीएफ, पेंशन में योगदान कम रखने के लिए भत्ता ज्यादा रखती हैं कंपनियां
दरअसल कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी स्कीम जैसे ईपीएफ, पेंशन आदि में अपना योगदान कम रखने के लिए कंपनियां बेसिक और डीए कम रखती हैं. कई मामलों में तो भत्ता कुल वेतन का 70 फीसदी तक होता है. सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट सेविंग्स ज्यादा बढ़ाने के लिए वेतन में भत्ते का कंपोनेंट 50 फीसदी तक सीमित कर दिया है. इससे ज्यादा की कोई भी राशि सैलरी कंपोनेंट में जोड़ दी जाएगी. इससे नियोजकों का कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी में किया जाने वाला कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा.
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