Business Startup Classroom: आपने भी बहुत से लोगों को अपने आस पास स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोचते और बोलते देखा होगा लेकिन अधिकतर कहानियां इस बात पर आकर रुक जाती है कि काश इसे शुरू करने के लिए मेरे पास कुछ फंड्स होते, या कोई होता जो मेरे आईडिया में पैसा लगा देता. जी हां, बहुत से आइडियाज बस इसीलिए लिए शुरू नहीं हो पाते हैं कि क्योंकि उन्हें फंडिंग नहीं मिलती है, या शुरू तो जाते हैं लेकिन आगे बढ़ नहीं पाते, तो चलिए फंडिंग के फंडे को समझने के साथ साथ एक स्टार्टअप के स्टेजेज के बारे में भी समझते हैं, कि फंडिंग किस स्टेज पर कैसे होती है. यहां एक बात समझनी बहुत जरुरी है कि बिज़नस में कोई भी पैसा प्रॉफिट के लिए ही लगाता है, तो आपको शुरू से इस बात का ख्याल रखना पडेगा की आपके इन्वेस्टर को प्रॉफिट कैसे मिलेगा.
प्री-सीड स्टेज
ये सबसे शुरुआती स्टेज होता है, यानी यहां फाउंडर के पास बस आईडिया होता है और आप उस आईडिया को जमीन पर उतरने के लिए अपना प्रोटोटाइप बनाते हैं, ये एक ऐसा स्टेज होता है जहां पर, लोग अक्सर पैसा लगाना नहीं चाहते हैं, क्योंकि बिज़नस को प्रूव करने के लिए आपके पास कुछ खास होता नहीं है. इस स्टेज पर आपके स्टार्टअप के हिसाब से कम या ज्यादा फंड्स की जरुरत हो सकती है, लेकीन यहां फंड्स इकट्ठा करने का सबसे आसान तरीका होता है बूटस्ट्रेप, यानी यहां बेहतर यही है कि आप अपना, अपने परिवार या दोस्तों से पैसे लेकर अपने आईडिया को जमीन पर उतारें. हमने जब SkillingYou शुरू किया तो 3 दोस्तों ने मिलकर पैसा लगाया था.
सीड स्टेज
इस स्टेज में आप अपने आईडिया का प्रोटोटाइप बना चुके होते हैं, और ये समय होता है कि उसका मार्किट फिटमेंट चेक किया जाए, इस स्टेज पर आपको अपने प्रोडक्ट के लिए ज्यादा से ज्यादा कस्टमर फीडबैक की जरुरत होती है, जिससे कि उसमे जरुरी इम्प्रूवमेंट किया जा सके और उसे कस्टमर के लिए बेहतर से बेहतर बनाया जा सके जिससे आप इसे सेल कर सकें. इस स्टेज पर आप क्राउड फंडिंग या एंजेल इन्वेस्टर्स की मदद ले सकते हैं, ऐसे बहुत से एंजेल इन्वेस्टर्स ग्रुप्स हैं जो बिज़नस में इक्विटी लेकर इस स्टेज पर पैसा लगाते हैं, साथ ही आप इन्क्युबेटर ट्राई कर सकते हैं, जहां फंड्स के साथ साथ आपको मेंटरिंग, ऑफिस सपोर्ट, लॉन्चिंग सपोर्ट आसानी से मिल सकता है, बहुत सी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं आजकल स्टार्टअप को सपोर्ट करने के लिए इन्क्युबेटर चला रही हैं.
सीरिज ए
इस स्टेज पर जब आपका प्रोडक्ट टेस्ट हो चूका है, आपका स्टार्टअप कुछ रेवेन्यु बनाने लगता है, तो प्रोडक्ट में और इम्प्रूवमेंट और मार्किट में प्रचार प्रसार, टीम, एक्सपर्ट्स के लिए आपको पैसे की जरुरत पड़ती है. लेकिन यहां पैसे के लिए आपको अपने प्रोडक्ट के साथ साथ आपके प्रॉफिट मार्जिन, मार्किट साइज़, एक्सपेक्टेड रेवेन्यु, प्लानिंग को मेजर आधार माना जाता है. यहां पर आप इंस्टिट्यूशनल फंडिंग, कैपिटल फंड्स, बैंक लोन, सरकारी स्कीम्स का सहारा ले सकते हैं. यहां आपको फंड्स आपकी कंपनी में इक्विटी या डेब्ट के रूप में मिलता है.
एक्सपेंशन या स्केलिंग
ये वो स्टेज होता है, जहां आप मार्किट में अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए, मार्कटिंग, टीम, लीडरशिप, इनोवेशन के लिए ज्यादा फंड्स की जरुरत पड़ती है. सीरीज A के बाद यहां आगे की सीरिज में फंडिंग होती है, B, C, D. यानी जैसे जैसे आपका बिज़नस बढ़ता है, वेंचर कैपिटलिस्ट आपके बिज़नस में पैसा लगाते जाते हैं, हां यहां वही बात लागू होती है जो शुरू में थी, बिज़नस में पैसा प्रोफिट्स से आता है, तो अगर आप प्रोफिट्स दिखा पाते हैं तो आपको इन्वेस्टर्स की कमी नहीं होगी.
सरकारी स्कीम्स
यहां आपको बताते चलें कि सरकार ने स्टार्टअप इंडिया के अतंर्गत बहुत सी स्कीम्स लांच कर रखी हैं, जहां आपको आईडिया से सीड स्टेज और आगे के लिए फंड्स, इन्क्युबेटर, मेंटरिंग सपोर्ट सब मिलता है. Startup India Seed Fund Scheme (SISFS) एक ऐसी स्कीम है जो स्टार्टअप्स को मार्किट में एंट्री, प्रॉडक्ट टेस्टिंग, प्रोटोटाइप के लिए सपोर्ट करती है. अपने स्टार्टअप को स्टार्टअप इंडिया में रजिस्टर करना न भूलें, जहां से आपको बहुत से ग्रांट्स और स्कीम्स, कॉम्पिटिशन के बारे में पता चलता रहेगा.
(लेखक स्किलिंग यू के संस्थापक और सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)
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