Business Startup Classroom: स्टार्टअप शुरू करने के ये हैं मूल मंत्र, कामयाबी की उड़ान में होती है इनकी बड़ी भूमिका
Startup Classroom: स्टार्टअप की दुनिया जितनी चमकदार है उससे कई गुना ज्यादा मेहनत भरी भी है. अगर अपना स्टार्टअप शुरू करने से पहले आप यहां बताए गए मूल मंत्रों को अपना लेंगे तो बेहद फायदे में रहेंगे.
Startup Classroom: आज स्टार्टअप एक ऐसा शब्द हो गया है कि लगभग सभी ने किसी न किसी माध्यम से सुना ही होगा. इस नए शब्द ने जाने कितने लोगों को फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया, लाखों लोगों को नई नौकरी दी, अमीर बनाए, और सबसे अहम बात, ऐसी समस्याओं को सॉल्व किया, जिनका हम आए दिन सामना करते हैं. एक असली स्टार्टअप वही है जो लोगों की समस्या को सुलझाकर उनकी जिन्दगी को आसान बनाए.
आज देश में 80,000 से ज्यादा स्टार्टअप हैं, और उनमें से 105 तो यूनिकॉर्न बन चुके हैं, यूनिकॉर्न वो स्टार्टअप होते हैं जिन कंपनियो की कीमत एक बिलियन से अधिक हो चुकी है. तो जाहिर सी बात है आप भी कभी न कभी स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोचते होंगे, तो चलिए इस आज समझने की कोशिश करते हैं कि आप अपना स्टार्टअप कैसे शुरू कर सकते हैं.
स्टार्टअप का आइडिया कैसे लाएं
किसी भी स्टार्टअप में सबसे पहला और अहम् स्टेज है ये, यानी जितना अच्छा आपका आइडिया होगा उतना ही बेहतर आपका स्टार्टअप, हां, यहां बताते चलें कि केवल आइडिया का होना ही एक सफल स्टार्टअप की गारंटी नहीं होती है. एक बेहतर आइडिया के लिए एक बेहतर प्रॉब्लम का होना जरूरी है, यानी आप अपने बिज़नेस से जितनी बड़ी समस्या सॉल्व करेंगे, उसके बड़े होने का चांस उतना ही बड़ा होगा. तो सबसे पहले आस पास समस्याओं को खोजना शुरू करें, समस्या कुछ भी हो सकती है, जिसका समाधान लोग खुद नहीं खोज पा रहे हों, तो यहीं से आपका आइडिया स्टेज शुरू हो जाता है, यानी समस्या ही स्टार्टअप की पहली सीढ़ी है. आजकल टेक्नोलॉजी के दौर में, अगर आप समस्याओं को टेक्नोलॉजी के माध्यम से सॉल्व कर रहे हैं तो उसे बड़ा करने का ऑप्शन बहुत बढ़ जाता है.
खूब मार्केट रिसर्च करें
आइडिया के बाद शुरू होता है, उसके बारे में जानकारी इकट्ठी करना, जितना ज्यादा जानकारी, उतना बेहतर स्टार्टअप, देखना शुरू करें कि, कहीं इस समस्या का समाधान पहले से तो नहीं है, अगर है तो उसमे क्या कमी है, या पहले वाली कंपनियों ने इसका प्रोडक्ट क्या बनाया है, लोगों से जानकारी जुटाएं, जानें की उन्हें कहां दिक्कत आती है, और आपका समाधान क्या उन्हें एक्साइट कर रहा है, हां, यहां ये भी जानना जरुरी है कि आपके समाधान के लिए लोग पैसे देने के लिये तैयार हैं या नहीं?
मेंटर्स जरुर बनाएं
मैंने अपने स्टार्टअप अनुभव में इसे बहुत ही खास पाया है, बहुत बार होता है कि आपको अपने आइडिया से इतना प्यार हो जाता है कि आप उसके बारे में कुछ गलत-सही या निर्णय नहीं ले पाते हैं, कहते हैं ना प्यार अंधा होता है, तो यहां आपको गाइड की जरूरी पड़ेगी, ऐसे लोगों को अपना मेंटर बनायें जो स्टार्टअप की दुनिया से आते हैं, जो आपको ये बता सकें कि आपको क्या नहीं करना है, बताते चलें कि बिजनस में जितना जरुरी ये जानना है कि क्या करें उतना ही जरुरी है क्या ना करें.
फंड्स की प्लानिंग जरूर करें
कहते हैं 95 प्रतिशत स्टार्टअप अपना दूसरा साल नहीं देख पाते हैं, उसके बहुत से कारण होते हैं लेकिन फंड्स का सही इस्तेमाल और प्लानिंग एक बड़ा कारण है, मैंने बहुत से लोगों को जॉब छोड़कर स्टार्टअप शुरू करते देखा है लेकिन उसमें से अधिकतर लोग कुछ महीनों बाद फिर से जॉब में होते हैं. किसी भी स्टार्टअप में कम से कम आपके पास 2-3 साल का फंड का बैकअप जरुरी है, अगर आप जॉब में हैं तो सोचिये की अगले 2 सालों तक अगर आपके बिज़नस से कुछ पैसा नहीं बना तो आपका काम कैसे चलेगा, उसकी प्लानिंग करके चलें. क्योंकि स्टार्टअप में फंडिंग और इन्वेस्टर्स का मिलना बहुत बाद में शुरू होता है, उससे पहले तो आपको खुद ही प्लान करके चलना पड़ेगा. आज सरकार की तरफ से बहुत से ऐसी स्कीम्स हैं जो स्टार्टअप को सपोर्ट करने का काम कर रही हैं, उनके बारे में पढ़ना ना भूलें.
एक अच्छा को-फाउंडर बन सकता है आपकी मजबूत स्ट्रेंथ
स्टार्टअप अकेले चलाना नामुमकिन तो नहीं, लेकिन अगर आपके पास कोई अच्छा को-फाउंडर और अच्छी टीम नहीं है तो उसे बड़ा कर पाना नामुमकिन है, बहुत से लोग यहीं गलती कर जाते हैं, वो सब कुछ खुद करना चाहते हैं, और एक समय के बाद आपका स्टार्टअप आगे बढ़ना बंद कर देता है या उसमें नए आइडियाज आने बंद हो जाते हैं. स्टार्टअप एक लाइफस्टाइल है, उसे हर दिन जीना पड़ेगा, आपको अपने जैसे क्रेजी लोगों की जरुरत पड़ती है, जो आपके आइडियाज में भरोसा करते हैं और एनर्जी से भरपूर हों. एक फाउंडर के तौर पर आपको ऐसे लोगों को खोजना और उन्हें इनेबल करना आपका प्राइम फोकस होना चाहिए.
तो चलिए, अगर आपके दिमाग में भी कोई आइडिया है तो शुरू करिए, क्योंकि स्टेडियम में बैठकर दूसरों के लिए तालियां बजाने से बेहतर है कि खुद भी खेला जाए, क्योंकि हर हार और जीत आपको एक नया अनुभव देती है.
नोटः लेखक स्किलिंग यू के संस्थापक और सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं
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