Digital Payment Growth System: बीएनपीएल (BNPL) और डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) जैसे नए तरीकों से डिजिटल पेमेंट को परिभाषित करने की संभावना के बावजूद खुदरा ऑनलाइन लेनदेन मंच UPI का देश में डिजिटल भुगतान परिदृश्य में दबदबा कायम रहने की संभावना है.


डिजिटल भुगतान की ग्रोथ को मिलेगा रफ्तार
पीडब्ल्यूसी इंडिया (PWC India) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), ‘बाय नाउ पे लेटर (BPNL), सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) और ऑफलाइन भुगतान अगले पांच सालों में भारत में डिजिटल भुगतान की ग्रोथ को रफ्तार देंगे. 


UPI का रहेगा बड़ा योगदान
रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई का डिजिटल भुगतान क्षेत्र में बड़ा योगदान बना रहेगा और उसके बाद बीएनपीएल का स्थान होगा.


जारी की गई रिपोर्ट
PWC की ‘द इंडियन पेमेंट्स हैंडबुक 2021-26’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय डिजिटल भुगतान बाजार में संख्या के हिसाब से 23 फीसदी की मजबूत वृद्धि देखी गई है और इसके वित्त वर्ष 2025-26 तक 217 अरब लेनदेन तक पहुंचने की संभावना है. मूल्य के हिसाब से यह आंकड़ा अगले पांच वर्षों में 5,900 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है.


122 फीसदी की ग्रोथ आ सकती है
रिपोर्ट कहती है कि साल 2020-21 में यूपीआई के जरिये 22 अरब डिजिटल लेनदेन हुए थे और वर्ष 2025-26 तक इसके 169 अरब लेनदेन हो जाने की संभावना है. इस तरह सालाना आधार पर 122 फीसदी की तेज वृद्धि दर्ज की जा सकती है.


BPNL से हुए 363 अरब लेनदेन
रिपोर्ट के मुताबिक, UPI के जरिये कम मूल्य वाले लेनदेन और सीमापार पैसे भेजने के लिए एशिया के अन्य देशों के साथ साझेदारी होने से भी इस वृद्धि को मजबूती मिल रही है. वहीं, Buy Now Pay Later के जरिए फिलहाल 36,300 करोड़ रुपये मूल्य के करीब 363 अरब लेनदेन हुए हैं जिसके अगले पांच साल में 3,19,100 करोड़ रुपये मूल्य के 3,191 अरब लेनदेन हो जाने की उम्मीद है.


जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार एवं भुगतान बदलाव प्रमुख मिहिर गांधी ने कहा, ‘‘नियामकों, बैंकों, भुगतान एवं वित्त-प्रौद्योगिकी कंपनियों के अलावा कार्ड नेटवर्क एवं सेवाप्रदाताओं के मिले-जुले प्रयासों से डिजिटल भुगतान उद्योग में आने वाले वर्षों में जबर्दस्त वृद्धि की संभावना नजर आ रही है.’’


यह भी पढ़ें:
LIC में 20 फीसदी FDI के लिए सरकार ने नियमों में किया बड़ा बदलाव, जानिए क्या हुआ चेंज?


FPI निवेशकों को पसंद नहीं आया भारतीय बाजार, पिछले हफ्ते निकाले 4500 करोड़ रुपये