Byju Trouble: कर्ज के बोझ तले दबी एडटेक कंपनी बायजू (Byju's) से आखिरकार फाउंडर और सीईओ बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) को हटा दिया गया है. कंपनी के शेयरहोल्डर्स ने शुक्रवार को बायजू रविंद्रन के अलावा उनके परिवार के सदस्यों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया. बायजू रविंद्रन के परिवार ने इस वोटिंग को अवैध बताया है. 


कंपनी की ईजीएम में लिया गया फैसला


पीटीआई ने बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के शेयरहोल्डर्स प्रोसस (Prosus) के हवाले से बताया कि बायजू रविंद्रन और उनके परिवार को कंपनी को गलत तरीके से चलाने के चलते हटाया गया है. यह फैसला कंपनी की ईजीएम (Extraordinary General Meeting) में लिया गया. इस बैठक में बायजू रविंद्रन और उनका परिवार शामिल नहीं हुआ था. उन्होंने ईजीएम को अवैध करार दिया है.


बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का फिर से होगा गठन


जानकारी के अनुसार, बायजू के 60 फीसदी से ज्यादा शेयरहोल्डर्स ने सीईओ रविंद्रन को हटाने के फैसले पर मोहर लगाई प्रोसस ने बताया कि ईजीएम में बायजू रविंद्रन और उनके परिवार को हटाने समेत कई फैसले सर्वसम्मति से हुए. इनमें कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का फिर से गठन भी शामिल है. इसके बाद थिंक एंड लर्न और उसके फाउंडर बायजू रविंद्रन का इस पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा. हालांकि, इस बैठक के फैसले 13 मार्च तक लागू नहीं होंगे. उस दिन कर्नाटक हाई कोर्ट बायजू रविंद्रन की याचिका पर सुनवाई करेगा. उन्होंने ईजीएम बुलाने के खिलाफ याचिका दायर की है.


बायजू रवींद्रन को कंपनी चलाने के लिए अयोग्य ठहराने की मांग


इससे पहले शुक्रवार को एडटेक कंपनी बायजू के चार निवेशकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में कंपनी के मैनेजमेंट के खिलाफ कुप्रबंधन का आरोप लगाकर मुकदमा दायर कर दिया था. उन्होंने कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन को कंपनी चलाने के लिए अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए कहा कि बायजू का फॉरेंसिक ऑडिट किया जाए. इसके अलावा कंपनी में नए बोर्ड को नियुक्त किया जाए और राइट्स इश्यू को शून्य घोषित किया जाए.


सबसे ज्यादा घाटे में चल रही कंपनियों में शामिल बायजू


कभी देश का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप कहा जाने वाला बायजू को वित्त वर्ष 2022 में 8245 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. बायजू देश की सबसे ज्यादा घाटे में चलने वाली कंपनियों में भी शामिल हो गई है. आंकड़ों के मुताबिक, बायजू की मार्केट वैल्यू घटकर 1 अरब डॉलर रह गई है, जो कि अप्रैल, 2023 में लगभग 22 अरब डॉलर थी.


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