Byju Raveendran: भारतीय कारोबार जगत में बायजू एक अनोखा उदाहरण बन चुकी है. कभी एडटेक जगत का चमकता सितारा रही यह कंपनी अब कई संकटों का सामना कर रही है. बायजू एक मुसीबत से निकल नहीं पाती और उसके सामने दूसरी समस्या मुंह बाए खड़ी हो जाती है. हाल ही में कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से बीसीसीआई (BCCI) का पेमेंट सेटेलमेंट करने की मंजूरी मिल गई थी. इसके साथ ही उस पर मंडरा रहा दिवालिया संकट खत्म हो गया था. मगर, अब बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्हें आशंका है कि बीसीसीआई डील का विरोध कर रहे अमेरिकी क्रेडिटर अब उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. 


ग्लास ट्रस्ट कंपनी की याचिका से पहले सुनवाई की मांग 


जानकारी के अनुसार, बायजू रविंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका 3 अगस्त को दाखिल की है. उन्होंने अदालत से मांग की है कि यदि ग्लास ट्रस्ट कंपनी (GLAS Trust Company) की ओर से याचिका दाखिल की जाती है तो पहले उनकी सुनवाई की जाए. ग्लास ट्रस्ट ने इस समझौते का विरोध करते हुए NCLAT से कहा था कि यह डील चोरी के पैसों से की जा रही है. मगर, NCLAT ने समझौते को मंजूरी देते हुए दिवालिया प्रक्रिया भी खत्म करने का आदेश दिया था. ट्रिब्यूनल ने कहा था कि इसके पर्याप्त सुबूत नहीं हैं कि बीसीसीआई को दिया जा रहा पैसा अवैध तरीके से कमाया गया था. 


बायजू रविंद्रन के हाथ में फिर से आ गया कंपनी का कंट्रोल 


NCLAT के आदेश के बाद एक बार फिर से बायजू का कंट्रोल बायजू रविंद्रन के हाथ में आ गया था. इससे पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करते हुए रेजोलुशन प्रोफेशनल की नियुक्ति कर दी थी. कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के चलते बायजू रविंद्रन अपने पर्सनल एसेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं इसलिए उनके भाई रिजू रविंद्रन (Riju Raveendran) ने बीसीसीआई को 158 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. रिजू रविंद्रन ने कहा था कि वह अपनी कमाई से यह भुगतान कर रहे हैं. यह पैसा उन्होंने बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न (Think and Learn) के शेयर बेचकर कमाया था. 


बायजू और रिजू रविंद्रन पर 500 करोड़ रुपये गायब करने का आरोप 


उधर, ग्लास ट्रस्ट कंपनी का कहना है कि बायजू रविंद्रन और रिजू रविंद्रन ने लगभग 500 करोड़ रुपये अमेरिका से गायब किए हैं. यह लोग उसी पैसे से बीसीसीआई को पेमेंट कर रहे हैं. कंपनी ने NCLAT से मांग की थी कि इस पेमेंट पर रोक लगाई जाए. हालांकि, NCLAT ने कहा था कि यह आरोप आशंकाओं पर आधारित हैं. उधर, बीसीसीआई ने भी ट्रिब्यूनल से कहा था कि वह अवैध तरीके से कमाए पैसों को कभी नहीं स्वीकारते हैं.


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