Byju's Crisis: भारत के सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप बायजू के संकट के बीच फाउंडर बायजू रवींद्रन ने कर्मचारियों को एक इमोशनल नोट लिखा. ईमेल के जरिए भेजे गए इस नोट में उन्होंने कहा कि बायजू सिर्फ उनका काम नहीं, बल्कि जिंदगी है. हाल ही में कंपनी के संकट के बीच फाउंडर ने कर्मचारियों को आश्वस्त करने की कोशिश की थी. हालांकि उन्होंने में हाल ही में हुई छंटनी पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बायजू के संस्थापक ने सिर्फ इतना कहा कि कंपनी में कर्मचारियों की गई छंटनी एक अंतिम उपाय था. कर्मचारियों को भेजे गए मेल नोट में बोर्ड से निकलने से लेकर ऑडिटर के इस्तीफे और लेंडर्स के साथ विवाद सभी कुछ शामिल किया गया था. इससे पहले इन्हीं सब मुद्दों को लेकर उन्होंने कुछ घंटे पहले टाउन हॉल में संबोधन किया था.
'मेरा काम नहीं, ये मेरी जिंदगी'
मेल नोट में उन्होंने कहा कि यह कंपनी सिर्फ मेरा काम नहीं है, यह मेरी जिंदगी है. 18 साल से मैंने प्रतिदिन 18 घंटे से अधिक समय BYJU'S को दिया है, इस कंपनी में मैंने अपना दिल और आत्मा लगा दी है और मैं यह काम कम से कम 30 वर्षों तक और करना चाहता हूं. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, रवींद्रन ने 29 जून की शाम को ऐसा ईमेल कर्मचारियों को भेजा था.
सहमति से हुआ था ऑडिटर का इस्तीफा
रवींद्रन का यह नोट ऐसे समय में सामने आया है, जब एडटेक कंपनी पीड़ित कर्मचारियों से लेकर नाराज कर्जदाताओं और दिवंगत बोर्ड सदस्यों से लेकर वित्तीय देरी तक की कई समस्याओं से होकर गुजर रही है. ईमेल के जरिए रवींद्रन ने स्पष्ट किया कि उसके ऑडिटर डेलॉइट का इस्तीफा "परस्पर सहमति वाले निर्णय" पर आधारित था.
बायजू लचीला और स्थिर बना हुआ है: रवींद्रन
रवीन्द्रन ने अपने नोट में आगे कहा कि मेल का मतलब यह नहीं था कि कंपनी कठिन परिस्थितियों का सामना नहीं कर रही है, लेकिन अनिश्चितताओं के बावजूद भी BYJU'S लचीला और स्थिर बना हुआ है. फाउंडर ने कर्मचारियों को आश्वस्त करते हुए ये बातें कहीं.
छंटनी का फैसला अंतिम उपाय
रवींद्रन ने कहा कि कर्मचारियों के छंटनी का फैसला अंतिम उपाय था. उन्होंने कहा कि मैं टीम के हर सदस्य के प्रति संवेदना व्यक्त करना हूं, जो आकार घटाने की कठिन परिस्थिति का सामना कर रहे हैं.
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