Byju Crisis: बायजू ने सैलरी का कुछ हिस्सा बांटा, बकाया वेतन के लिए पत्र लिखकर मांगा और समय
Byju Salary: बायजू रविंद्रन ने कर्मचारियों से वादा किया था कि 10 मार्च तक उनकी वेतन आ जाएगी. अब कंपनी मैनेजमेंट में 25 फीसदी पैसा ट्रांसफर करने का दावा किया और बकाया वेतन के लिए समय मांगा है.
Byju Salary: संकट में फंसी एडटेक कंपनी बायजू (Byju's) ने कर्मचारियों को राहत देते हुए सैलरी का कुछ हिस्सा सभी को दे दिया है. बकाया वेतन देने के लिए कंपनी ने थोड़े और समय की मांग की है. बायजू के इस फैसले से हाल फिलहाल कर्मचारियों को थोड़ी राहत मिलेगी. कंपनी ने कर्मचारियों को पत्र लिखकर थोड़े और समय की मांग की है. कंपनी ने कर्मचारियों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि जैसे ही राइट्स इश्यू से मिला पैसा हमारे पास आ जाएगा, हम बकाया सैलरी भी सभी को दे देंगे. बायजू में इस समय लगभग 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं.
बायजू रविंद्रन और शेयरधारकों में चल रहा विवाद
बायजू के फाउंडर एवं सीईओ बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) और कंपनी के कुछ शेयरधारकों (Byju Shareholders) में इस समय नए बोर्ड के गठन को लेकर विवाद चल रहा है. यह मामला कोर्ट में भी चला गया है. कोर्ट ने राइट्स इश्यू से मिले पैसे को फिलहाल इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. कुछ समय पहले शेयरधारकों ने बायजू रविंद्रन और उनके परिवार को बोर्ड से हटाने पर मुहर लाग दी थी. इस मीटिंग को रविंद्रन ने अवैध करार दिया था.
लगभग 25 फीसदी वेतन सभी को दी जाएगी
कंपनी ने पत्र में लिखा कि हमने शुक्रवार रात से ही सैलरी का कुछ हिस्सा सभी को भेजना शुरू कर दिया था. यह इंतजाम राइट्स इश्यू के इतर बचे पैसों से किया गया था. यह पैसा 11 मार्च को कर्मचारियों के अकाउंट में दिखने लगेगा. इसमें वीकेंड के चलते देरी हो गई है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, कम सैलरी वाले कर्मचारियों को उनकी वेतन का लगभग 25 फीसदी हिस्सा और ज्यादा वेतन वालों को पार्ट पेमेंट दिया गया है. इससे पहले बायजू रविंद्रन ने दावा किया था कि कंपनी 10 मार्च तक सभी की वेतन दे देगी.
एनसीएलटी के आदेश पर रुका है राइट्स इश्यू से मिला पैसा
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 27 फरवरी को जारी आदेश में कहा था कि एडटेक कंपनी को राइट्स इश्यू से मिले पैसे को फिलहाल एस्क्रो अकाउंट में रखना होगा. यह पैसा तब तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जब तक कंपनी मैनेजमेंट और चार बड़े निवेशकों के बीच का विवाद सुलझ नहीं जाता.
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