नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक सीमित आकार तक की इकाइयों में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के हिस्से का भविष्य निधि में भुगतान सरकार की तरफ से किए जाने की योजना तीन महीने यानी अगस्त तक के लिये बढ़ाने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी.
कोविड-19 महामारी के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत इस साल मई में इस योजना को अगस्त तक बढ़ाने की घोषणा की थी.
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने योजना अगस्त तक बढ़ाये जाने का मंजूरी दे दी जिसके तहत सरकार कर्मचारियों और नियोक्ताओं का भविष्य निधि में योगदान राशि देगी.’’
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत भविष्य निधि में नियोक्ता और कर्मचारियों का 12-12 प्रतिश यानी कुल 24 प्रतिशत योगदान सरकार कर रही है.
सरकार ने कोविड-19 संकट और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से छोटे प्रतिष्ठानों और उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने के लिये यह कदम उठाया है.
यह योजना उन प्रतिष्ठानों के लिये है जहां कर्मचारियों की संख्या 100 तक है तथा उनमें से 90 प्रतिशत का मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है. इससे पहले, यह लाभ मार्च, अप्रैल और मई, 2020 के वेतन में दिया गया था. अब यह लाभ जून, जुलाई और अगस्त, 2020 के वेतन में मिलेगा.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आज (बुधवार) को हुई बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारियों का 12 प्रतिशत और नियोक्ताओं को 12 प्रतिश्त योगदान तीन महीने जून से अगस्त तक और देने का फैसला किया गया है.’’
बयान के अनुसार यह मंजूरी मार्च से मई, 2020 तक के लिये पूर्व में दी गयी अनुमति के अलावा है. इस पर कुल 4,860 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. इससे 3.67 लाख नियोक्ताओं और 72 लाख से अधिक कर्मचारियों को राहत मिलेगी.
जावड़ेकर ने कहा कि निर्णय कर्मचारियों और नियोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर किया गया. इससे एक तरफ जहां कर्मचारियों के पास वेतन के रूप में ज्यादा पैसा आएगा वहीं नियोक्ताओं को भविष्य निधि बकाया के भुगतान में राहत मिलेगी. लाभ तीन महीने के लिये और बढ़ाये जाने से 3.67 लाख प्रतिष्ठानों को नकदी के मोर्चे पर राहत मिलेगी.
बयान में कहा गया है कि सरकार 2020-21 के में इसके लिये 4,800 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन उपलब्ध कराएगी. प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत जून से अगस्त, 2020 के दौरान नियोक्ताओं के 12 प्रतिशत योगदान के लाभ लेने वालों को इससे अलग रखा जाएगा.
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